14 महीनों बाद हरियाणा को मिल सकता है नियमित गृह सचिव

9/24/2020 4:14:16 PM

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा की वर्तमान मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा, जो 1983 बैच की आईएएस अधिकारी हैं व गत वर्ष जुलाई, 2019 में प्रदेश अफसरशाही के इस सर्वोच्च पद पर आसीन हुईं, की सेवानिवृति इसी माह 30 सितंबर को होगी। हालांकि उनके उत्तराधिकारी बारे आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, परंतु ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि 1985 बैच के आईएएस विजय वर्धन को प्रदेश का अगला मुख्य सचिव बनाया जा सकता है।

बीती 30 अप्रैल को विजय वर्धन को, जो तब पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर तैनात थे एवं जिनके पास गृह विभाग के प्रशासनिक सचिव का अतिरिक्त कार्यभार था, उन्हें अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं वित्तायुक्त, राजस्व और आपदा प्रबंधन व चकबंदी विभाग लगाया गया। इसके साथ ही उन्हें अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह, जेल, क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन (गुप्तचर) एवं न्याय-प्रशासन विभाग का भी कार्यभार दिया गया। हालांकि पर्यटन विभाग उनसे ले लिया गया।

लिखने योग्य है कि प्रदेश के मुख्य सचिव के पद के बाद राज्य ब्यूरोक्रेसी (अफसरशाही) में राजस्व सचिव, जिसे एफ.सी.आर. (फाइनेंसियल कमिश्नर रेवेन्यू- वित्तायुक्त राजस्व) भी कहा जाता है। दूसरा सबसे वरिष्ठम् पद है एवं इसी कारण इस पर सामान्यतः स्टेट कैडर में मौजूद दूसरे सबसे वरिष्ठ आई.ए.एस. को तैनात किया जाता है। हालांकि प्रदेश की मुख्य सचिव केशनी अरोड़ा के बाद 1984 बैच के सुनील कुमार गुलाटी है, जो वर्तमान में अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी विभाग हैं, परन्तु उन्हें राजस्व सचिव (एफसीआर ) नहीं लगाया गया।

बहरहाल, इस सम्बन्ध में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि अक्टूबर, 2014 में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार बनने के बाद आज सितम्बर, 2020 अर्थात बीते छः वर्षो में प्रदेश ने सात गृह सचिव देखे हैं। सबसे पहले नवंबर, 2014 में पहले भारी-भरकम प्रशासनिक फेरबदल में 1985 बैच के.पी.के. महापात्रा को नई सरकार का पहला गृह सचिव लगाया गया।

इसके एक वर्ष बाद नवंबर, 2015 में 1986 बैच के पी.के.दास को उनके स्थान पर तैनात किया गया। हालांकि इसके छः महीने बाद ही  मई, 2016 में 1985 बैच के राम निवास गृह सचिव बनाए गए, जो सवा वर्ष तक इस पद पर रहे। जिसके बाद सितम्बर, 2017 में 1984 बैच के एस.एस.प्रसाद गृह सचिव लगाए गए, जो लगभग दो वर्ष तक अर्थात जुलाई, 2019 तक यानि अपनी सेवानिवृत तक इस पद पर  रहे।

गत वर्ष अगस्त, 2019 में प्रसाद की सेवानिवृति से आज अर्थात बीते 14 महीनों से प्रदेश के गृह सचिव का कार्यभार अतिरिक्त तौर पर वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारियों को दिया जाता रहा है। जोकि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष अगस्त माह में 1984 बैच की तत्कालीन वरिष्ठ महिला आई.ए.एस. अधिकारी नवराज संधू, के पास भी चार महीनों अर्थात अगस्त, 2019 से लेकर नवंबर, 2019 तक  राजस्व और आपदा प्रबंधन एवं चकबंदी विभाग के साथ साथ गृह विभाग का अतिरिक्त कार्यभार रहा।

30 नवंबर 2019 को संधू के रिटायर होने के बाद गृह विभाग के प्रशासनिक सचिव का चार्ज मुख्यमंत्री हरियाणा के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, जो 1988 बैच के आई.ए.एस हैं, को अतिरिक्त कार्यभार के रूप के प्रदान किया गया। इसके एक माह बाद अर्थात दिसंबर, 2019 के अंत में विजय वर्धन, जो उस समय केवल पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे। उन्हें गृह विभाग का चार्ज अतिरिक्त कार्यभार के तौर पर दिया गया।

वर्तमान में भी विजय वर्धन भी नवराज संधू की ही तरह राजस्व, आपदा प्रबंधन एवं चकबंदी और गृह दोनों भारी भरकम विभाग संभाल रहे हैं। इस प्रकार खट्टर सरकार में आज तक सात गृह सचिव रहे हैं, हालांकि इस दौरान केवल तीन मुख्य सचिव हुए।

इस बारे हेमंत ने बताया कि हालांकि यह प्रदेश सरकार अर्थात मुख्यमंत्री का विवेकाधिकार है कि वह किस विभाग में किस उपयुक्त  आई.ए.एस. अधिकारी को प्रशासनिक सचिव के रूप में तैनात करे, परन्तु यहां ध्यान देने योग्य है कि प्रदेश सरकार का गृह विभाग, जो न केवल एक भारी भरकम बल्कि संवेदनशील विभाग भी होता है, अत: ऐसा विभाग किसी वरिष्ठ आई.ए.एस. को अतिरिक्त कार्यभार के रूप में नहीं अपितु मुख्य चार्ज के रूप में अर्थात पूर्णकालीन रूप में प्रदान किया जाना चाहिए।

उन्होंने बताया की वैसे भी लगभग 20 वर्ष बाद हरियाणा में गृह विभाग को अनिल विज स्वतंत्र कैबिनेट मंत्री के रूप में मिले हैं। ऐसा संभवत: किसी प्रदेश सरकार के शासनकाल में नहीं हुआ। जब गृह विभाग किसी आई.ए.एस. अधिकारी को अतिरिक्त कार्यभार के रूप में इतने समय तक दिया जाता रहा हो।

जहां तक प्रशासनिक स्तर पर हरियाणा के गृह विभाग का विषय है, हेमंत ने बताया की इनमें गृह (पुलिस) के अलावा जेल विभाग, क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन (गुप्तचर) विभाग और न्याय प्रशासन विभाग भी आते हैं। अब गृह विभाग तो अनिल विज के पास है, जबकि जेल विभाग निर्दलयी विधायक एवं कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह चौटाला के पास है। जबकि न्याय-प्रशासन विभाग एवं गुप्तचर विभाग दोनों मुख्यमंत्री के पास है। इस प्रकार विजय वर्धन गृह सचिव के तौर पर मुख्यमत्री, गृहमंत्री और जेल मंत्री तीनों को रिपोर्ट करते हैं।

vinod kumar