दिल्ली चुनाव घोषणा से पूर्व ही गर्माने लगी हरियाणा की सियासत

12/14/2019 10:50:44 AM

डेस्क( संजय अरोड़ा)- हरियाणा की सीमाओं से सटी दिल्ली में विधानसभा चुनावों को लेकर भले ही आधिकारिक रूप से कोई ‘बिगुल’ न बजा हो मगर इसकी गूंज हरियाणा में अभी से सुनाई देने लगी है। अगले वर्ष फरवरी माह में संभावित इन विधानसभा चुनावों के दंगल में कूदने के लिए हरियाणा में भी राजनीतिक तौर पर एक माहौल बनता दिखाई दे रहा है।

चुनाव प्रचार हेतु जहां सभी राजनीतिक दल तैयारी करते नजर आ रहे हैं वहीं इस चुनाव में भाजपा-जजपा के ‘रिश्ते’ को लेकर भी अटकलों का बाजार गर्म है। संभावना है कि 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार जजपा-भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है,लेकिन इस समझौते तहत भाजपा अपने सहयोगी दल जजपा को कितनी सीटें देगी? इस पर अभी चर्चा होना बाकी है और यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि इन चुनावों की सरगर्मी प्रदेश में जरूर दिखाई देने लगी है। 

राजनीतिक पर्यवेक्षक इस बात को मानते हैं कि दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव सभी राष्ट्रीय राजनीतिक पाॢटयों के साथ-साथ जजपा के लिए भी काफी महत्वपूर्ण हो सकते हैं क्योंकि जजपा भी दिल्ली की कुछ विधानसभा सीटों पर पहली बार भाजपा के साथ मिलकर भाग्य आजमाने के मूड में है और इसका संकेत खुद प्रदेश के डिप्टी सी.एम.एवं जजपा नेता दुष्यंत चौटाला दे चुके हैं। 
गौरतलब है कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने अभी इसकी न तो विधिवत कोई घोषणा की है और न ही कोई आचार संहिता को लेकर तारीखों संबंधी बिगुल बजा है लेकिन चुनाव को लेकर हरियाणा में भी सक्रियता बढ़ गई है। 

सियासत के लिहाज से सरगर्मी इस कदर बढ़ी है कि राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं को प्रचार हेतु सूचीबद्ध किया जा रहा है और निश्चित रूप से हरियाणा से संबंधित भाजपा,कांग्रेस, जजपा व आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं से लेकर कार्यकत्र्ता तक दिल्ली चुनाव दौरान प्रचार करते नजर आएंगे। इन चुनावों का प्रदेश में इसलिए भी असर नजर आ सकता है क्योंकिदिल्ली के कई विधानसभा क्षेत्र प्रदेश की सीमाओं से इस कदर सटे हैं कि दिल्ली व हरियाणा के इन क्षेत्रों के निवासियों का आपस में सामाजिक तानाबाना गुंथा है और प्रदेश के नेताओं का भी अपना- अपना प्रभाव है।

विधानसभा चुनावों को लेकर प्रदेश में सट्टा कारोबार सक्रिय 
पर्यवेक्षकों अनुसार दिल्ली के नतीजे भी बड़े अहम साबित होंगे। हालांकि कौन कहां से किसके साथ चुनाव लड़ेगा? इस पर कहना अभी जल्दबाजी है। उधर, दिल्ली के होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर प्रदेश में सट्टा कारोबार सक्रिय है और अपने आंकलन के मुताबिक हार जीत को लेकर भाव भी जारी कर दिए गए हैं। सट्टा बाजार के ये हैं भावसट्टा बाजार ने संभावित स्थिति का आंकलन कर अपनी ओर से जो भाव जारी किए हैं उसके अनुसार इस वक्त सट्टा बाजार में आम आदमी पार्टी फेवरेट है। लिहाजा, कुल 70 विधानसभा सीटों में से बाजार ‘आप’ को 47-49, भाजपा को 18-20 और कांग्रेस को 4-5 सीटें मिलने की संभावना व्यक्त कर रहा है।

सट्टा बाजार से जुड़े लोगों के अनुसार चूंकि ये भाव प्रारंभिक हैं और अभी चुनावों का ऐलान होना है तथा किस पार्टी का किसके साथ गठबंधन होगा व किस सीट से कौन-कौन उम्मीदवार होंगे? यह सब तय होने के बाद सीटों में बदलाव की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।इसलिए भी बढ़ी दिलचस्पीदिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत के लिहाज से इसलिए भी आमजन में दिलचस्पी बढ़ गई है क्योंकि हरियाणा में इस वक्त जजपा-भाजपा की सहयोगी पार्टी है और अब दिल्ली विधानसभा चुनावों को लेकर भी कहा गया है कि जजपा कुछ सीटों पर भाजपा के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरेगी।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि जजपा द्वारा भाजपा के साथ मिलकर दिल्ली विधानसभा चुनावों के दंगल में कूदने के कई बड़े मायने हैं। हालांकि देखना ये होगा कि भाजपा और जजपा के बीच सीटों को लेकर क्या स्थिति बनती है और यदि समझौता सिरे चढ़ता है तो जजपा के हिस्से कितनी और कौन सी सीटें आती हैं? फिलहाल ये सब बातें भविष्य के गर्भ में है मगर जजपा का यह कहना भर ही वह दिल्ली में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी राजनीतिक लिहाज से वाकई बड़ा महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि पिछले कई चुनावों में दिल्ली के बाहरी इलाकों पर आधारित विधानसभा क्षेत्रों में इनैलो द्वारा अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे जाते रहे हैं और इस बार चूंकि इनैलो से विभाजित होकर दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व में जजपा का गठन हुआ है और वह हरियाणा में भाजपा के साथ सत्ता सहयोगी है। ऐसे में जजपा का फोकस भी दिल्ली के बाहरी इलाकों पर रह सकता है।

Isha