हिमाचल की तरह हरियाणा में भी प्राइवेट स्कूलों में भी हो टैब वितरण: कुलभूषण शर्मा

9/25/2022 9:37:29 PM

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने सरकार की कुछ पॉलिसियों को लेकर बात करते हुए कहा कि सरकार की नजर में कभी भेदभाव की सोच नहीं होनी चाहिए। जिस प्रकार से हिमाचल में टैब वितरण ना केवल सरकारी बल्कि प्राइवेट स्कूल के बच्चों को भी किया गया, इसी प्रकार प्रदेश सरकार को भी इसी प्रकार का फैसला लेने की जरूरत है। क्योंकि बहुत से गरीबी रेखा से नीचे के अभिभावक भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हैं। लेकिन टैब खरीद कर देने में असमर्थ है। बिना भेदभाव की नीति से आगे बढ़ते हुए भाजपा को "सबका साथ- सबका विकास" के अपने नारे सार्थक दिशा देनी चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि हर बच्चा देश का बच्चा है। प्राइवेट और सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले किसी बच्चे के साथ इसी प्रकार का भेदभाव उचित नहीं है। इस पर गहन मंथन और चिंतन की आवश्यकता शर्मा ने बताई है। उन्होंने कहा कि आज एजुकेशन के डाटा के अनुसार देश में 80 फीसदी एजुकेटेड युवा बेरोजगारी के शिकार हैं।बीएड और इंजीनियरिंग किए नौजवान या तो बेरोजगार हैं या फिर उन्हें उनकी काबिलियत के अनुसार रोजगार नहीं मिला। जिस कारण उनकी काबिलियत का फायदा दूसरे देश उठा रहे हैं। यह अच्छे संकेत नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक अच्छी राष्ट्रीय नीति का निर्माण किया है। इसके साथ साथ कुछ बदलाव और आवश्यक हैं। आज बच्चों के बिगड़ रहे स्वास्थ्य का मुख्य कारण मानसिक दबाव जो लगातार कोचिंग के ट्रेंड के कारण पैदा हुआ है, उस पर भी रोक लगाया जाना अति आवश्यक है। देश में दो तीन फीसदी ही बच्चे कोचिंग ले पाने में समर्थ हैं।इसलिए सभी अभिभावकों से भी हमारी अपील हमेशा रही है कि उन्हें भी उठकर बच्चों के लिए संघर्ष करने की जरूरत है।

 

लगातार घट रहे रोजगार पर चिंता व्यक्त करते हुए कुलभूषण शर्मा ने कहा कि आज बीएड- इंजीनियरिंग इत्यादि को लेकर कई बदलाव और सुधार भी होने चाहिए। पढ़े लिखे नौजवान नौकरी के लिए मारे मारे फिर रहे हैं और उनकी काबिलियत कम बताकर उन्हें वापस लौटाया जा रहा है। ऐसी शिक्षा नीति होनी चाहिए कि रोजगार देने वाले इन बच्चों के पीछे पीछे घूमे। जिस प्रकार से जर्मनी जैसे देशों में पहले ही सुनिश्चित किया जाता है कि भविष्य में देश को किस स्टैंड के कितने इंजीनियर की जरूरत रहेगी। वह इंडस्ट्री के साथ मैपिंग करके पहले ही अनुमान लगा लेते हैं। हम विदेशों में जाते हैं -परिवर्तन देखते हैं -लेकिन उसे धारण नहीं करते। इसलिए हमारे बच्चे विदेशों की ओर भाग रहे हैं। इसमें लार्ड मैकाले को केवल दोष देना ही उचित नहीं होगा। 1947 में हमारा देश आजाद हुआ, नीति कोई भी बनी, लेकिन परिणाम अच्छा नहीं आया, इसमें दोषी लार्ड मेकाले नहीं बल्कि हम हैं। दोष देने की प्रथा पर बिल्कुल रोक लगाते हुए अवसर पैदा करने की जरूरत है। उन्होंने सभी ऐसे बोर्ड- आयोग जो रोजगार के लिए बच्चों काबिलियत को आंकने का काम करते हैं, उनमें राजनीतिक हस्तक्षेप को कम करने की अपील करते हुए कहा कि इसमें अगर शिक्षित और सामाजिक लोगों को शामिल किया जाए तो अवश्य इस प्रकार की कमियों को दूर किया जाना संभव होगा।

 

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Content Writer

Gourav Chouhan