हरियाणा महिला आयोग ने एक सप्ताह में 70 से अधिक मामलों का किया निपटान

9/16/2021 10:43:32 PM

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा राज्य महिला आयोग की कार्यकारी अध्यक्ष, प्रीति भारद्वाज दलाल की अध्यक्षता और देखरेख में आयोग द्वारा इस सप्ताह 70 से भी ज्यादा शिकायतों व प्रकरणों पर सुनवाई की गई। कोविड-19 के कारण प्रदेश में हुए लॉकडाउन के बाद यह पहला ऐसा मौका था, जब इतने बड़े स्तर पर लगातार मुख्यालय में 3 दिन तक महिला विरुद्ध अपराध संबंधी दर्जनों मामलों का सफलतापूर्वक निपटान हुआ। इन शिकायतों में विशेष रुप से हरियाणा राज्य के 4 जिला पानीपत, सोनीपत, कैथल, कुरुक्षेत्र से आई विभिन्न शिकायतों पर विस्तारपूर्वक सुनवाई कर विभिन्न प्रकरणों का निपटान किया गया।

लॉकडाउन के बाद से अब पहली बार इतनी अधिक शिकायतों का कम समय में निपटान किया जाना, आयोग के लिए एक अच्छी उपलब्धि है। आयोग के समक्ष आई शिकायतों और मामलों में ज्यादातर मामले गृह क्लेश, विवाह में हिंसा, बलात्कार, प्रेम विवाह संबंधी उत्पीडऩ, धर्मांतरण संबंधी, यौन उत्पीडऩ, कार्यस्थल स्थल पर उत्पीडऩ, लिव इन रिलेशनशिप संबंधित, नन्हें बच्चों की चाइल्ड कस्टडी से संबंधित, अप्रवासी भारतीय महिला विरुद्ध अपराध, (वायलेंस अगेंस्ट नॉनरेजिडेंट इंडियन) से संबंधित थे।

सुनवाई के दौरान अनेक मामलों में दोनों पार्टियों की आपसी सहमति से शिकायतों का निपटान करवाकर घर बसाने की प्रक्रिया चालू की गई। सुनवाई के दौरान आयोग के समक्ष शिकायतकर्ता और दूसरी पार्टी (वादी, प्रतिवादी, तीसरा पक्ष आदि), संबंधित थाना  प्रभारी (एसएचओ),  डीएसपी, इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर (आईओ) व सम्बंधित पुलिस अधिकारिओं ने ज्यादातर मामलों में उपस्थिति दर्ज कराई और विशेष प्रकार का उत्साह, इस जनसुनवाई में दिखा। आयोग द्वारा हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के वरिष्ठ वकीलों की सेवाएं भी ली गई, जिसमें एडवोकेट प्रमिला भारद्वाज, एडवोकेट सोनिया गौर, एडवोकेट हरी क्रिशन शर्मा व एडवोकेट अमन जैन ने अपने विधिक/ कानूनी, एक्सपर्टीज/निपुणता के साथ मामलों के निपटान में आयोग का सहयोग किया।

इन प्रकरणों को सुनकर आयोग का ऐसा मानना है कि ज्यादातर मामलों में अगर महिला पुलिस थानों व अन्य पुलिस अधिकारियों द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए यदि समय लगाकर आत्मीयता/ हमदर्दी के साथ काउंसलिंग, मेडिएशन, आर्बिट्रेशन करते हुए प्रार्थियों को हौसला दिया जाये, तो बहुत से मामलों में अनेक घरों को टूटने से बचाया जा सकता है।

लिव इन रिलेशन की बढ़ती संख्या और अरेंज्ड मैरिज  में अर्ली मैरिटल डिस्कॉर्ड की समस्याओं को देखते हुए, आयोग का मानना है कि हर जिले में प्रीमैरिटल काउंसलिंग (यानी शादी विवाह से पूर्व काउंसलिंग) का प्रावधान और सुविधा मुहैया करवाया जाना चाहिए, जिससे भावी जीवन साथी अपने आने वाले वैवाहिक जीवन को अर्थपूर्ण ढंग से सामंजस्य बैठाते हुए व्यतीत करें ताकि एक दूसरे के अंदर विश्वास पैदा हो और दोनों अपने वैवाहिक रिश्ते की डोर को कस के पकड़ कर बिना डगमगाए चला सकें।

ऐसे भावी जोड़ों की सहायता करने के लिए आयोग भी प्रतिबद्ध है और आयोग जल्द ही हरियाणा सरकार को इससे संबंधित सिफारिशें भेजेगा और साथ ही साथ जो उपलब्द प्रक्रिया है। जैसे कि वन स्टॉप सेंटर, हरियाणा स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी की सहायता से तथा आयोग के अपने काउंसलर प्रक्रिया द्वारा इस सुविधा के लिए विशेष अभियान के रूप में चलाने की योजना जनसुनवाई से उभरी है। वार्षिक वर्ष 2021-22 में आजतक आयोग के सम्मुख 16 सितंबर 2021 तक 1180 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिसमें से 70 प्रतिशत मामलों को दफ्तर दाखिल किया जा चुका है। आयोग, भारत सरकार व हरियाणा सरकार के जन आंदोलन बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को और सशक्त करते हुए आयोग अपनी प्रक्रिया में बेटी बसाओ के नारे पर विशेष रूप से कार्यरत व प्रतिबद्ध है।

Content Writer

Shivam