HAU में होगा बैंगनी, नीले और काले रंग का गेहूं उत्पादन

12/10/2019 2:53:13 PM

हिसारः अब आपके लिए गेहूं की चपाती महज खाने की चीज नहीं होगी, बल्कि यह दवाओं का काम करेगी। सामान्य लोग ही नहीं बल्कि घरों में कैंसर या शुगर के मरीज दोनों के लिए यह गेहूं की चपाती लाभकारी रहेगी। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) बैंगनी, नीले और काले रंग का गेहूं उगाने जा रहा है। इन रंगों में ही गेहूं की औषधीय क्षमता का राज छिपा हुआ है।

इस गेहूं की खोज मोहाली के राष्ट्रीय कृषि खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान की गेहूं विज्ञानी डॉ. मोनिका गर्ग ने की है। यह गेहूं लोगों तक पहुंच सके इसके लिए एचएेयू से कुलपति प्रो. केपी सिंह के निर्देशन में डायरेक्टर रिसर्च डॉ. एसके सहरावत ने राष्ट्रीय कृषि खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के अधिकारियों के साथ अनुबंध किया है। इसके तहत इस रंग-बिरंगे गेहूं को HAU में इस बार बोया भी गया है। 

डॉ. बिश्नोई बताते हैं कि बैंगनी, नीले व काले रंग के गेहूं में 40 से 140 PPM Anthocyanins तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकालने की वजह से इस गेहूं के आटे से बनी चपाती कैंसर, शुगर, Cardiovascular एवं अन्य Disorder में मरीजों के लिए काफी लाभदायक है। इसके साथ ही अगर सरकारी राशन में गरीबों को रंगीन गेहूं से बना आटा दिया जाए तो कुपोषण की समस्या को भी दूर किया जा सकता है।

Isha