हरियाणा सरकार की कार्यप्रणाली पर HC ने उठाए सवाल, हाईटैंशन बिजली लाइनों के स्थानांतरण पर ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें
punjabkesari.in Wednesday, Aug 13, 2025 - 08:30 AM (IST)

चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नौ साल पुराने मामले में हरियाणा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए हुए तीन सप्ताह के भीतर हाईटेंशन बिजली लाइनों के स्थानांतरण पर ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
यह मामला 2016 से लंबित है, पानीपत का एक बच्चा जो घर की छत पर से जा रही ओवरहेड वायर्स की चपेट में आने से बुरी तरह से जख्मी हो गया था। जिससे वह अपने हाथ-पांव से पूरी तरह से अपाहिज हो गया था। समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी। चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ नगर निगम क्षेत्रों के रिहायशी इलाकों के ऊपर से गुजरने वाली बिजली की ओवरहेड लाइनों को हटाने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने पाया कि राज्य की दो बिजली वितरण कंपनियों दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम और उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम ने 2025 में जो आंकड़े दिए, वे 2022 में दाखिल आंकड़ों से बिल्कुल मेल खाते हैं।
दोनों वर्षों में 33 के. वी. लाइनों के मामले में स्थिति 90 चिन्हित, 58 हटाई गईं, 32 लंबित ही बनी रही। कोर्ट ने तर्क दिया कि यह महज पुराने आंकड़ों की कापी है और 11 केवी लाइनों का डेटा भी नहीं दिया गया।
सुनवाई में यह भी सामने आया कि शहरी स्थानीय निकाय निदेशक ने 60 नगरपालिकाओं में 74,232 संरचनाएं बिजली लाइनों के नीचे होने की रिपोर्ट दी है। बिजली वितरण निगम का कहना था कि अवैध निर्माण हटाने की जिम्मेदारी नगरपालिकाओं की है, जबकि नगर निकायों का कहना था कि बिजली कनैक्शन बिना अनुमोदित भवन योजना देखे नहीं दिए जाने चाहिए थे। चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की कि आप एक ही सरकार का हिस्सा हैं, बैठकर समाधान निकालें, यह दोषारोपण बंद होना चाहिए।'
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