SYL पर सुप्रीम सुनवाई, पंजाब की मान सरकार को सर्वोच्च न्यायालय से लगी फटकार

9/6/2022 3:46:42 PM

दिल्ली(कमस कंसल): 4 दशक से अधिक समय से चले आ रहे सतलुज-यमुना-लिंक विवाद को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। केंद्र सरकार की ओर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सर्वोच्च न्यायालय में जानकारी देते हुए बताया कि जल शक्ति मंत्रालय इस विवाद को सुलझाने के लिए भरपूर प्रयास कर रहा है। लेकिन पंजाब सरकार एसवाईएल को सुलझाने के लिए कोई सहयोग नहीं कर रही है। उन्होंने बताया कि कई बार बुलावा भेजने के बाद भी पंजाब सरकार की ओर से बैठक में कोई शामिल नहीं होता। इस पर कोर्ट ने पंजाब की मान सरकार को इस महीने के अंत तक हरियाणा सरकार के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर बातचीत करने का आदेश दिया है।  


 

चार हफ्ते में बैठक कर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश

 

अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट के बताया कि इस मुद्दे को सुलझाने को लेकर अप्रैल में भी पंजाब के नए मुख्यमंत्री को मीटिंग में शामिल होने के लिए एक पत्र भेजा गया था, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। केके वेणुगोपाल ने कहा कि इससे पहले भी पंजाब सरकार एसवाईएल के मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों सरकारें इस मुद्दे को मध्यस्थता से सुलझाएं। कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री जल शक्ति मंत्रालय के साथ इस महीने के अंत तक एक मीटिंग कर इस मुद्दे पर बात करें। इसी के साथ इस बैठक की रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट में दायर करनी होगी। रिपोर्ट सबमिट करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी 2023 को होगी।


 

दोनों राज्यों के जल विवाद में केंद्र कर रहा मध्यस्थता

 

1966 में पंजाब से अलग होकर हरियाणा का गठन होने के साथ ही सतलुज-यमुना लिंक के विवाद का भी जन्म हो गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में 1982 में नहर का सतलुज को यमुना से जोड़ने के लिए नहर का निर्माण शुरू भी हो गया था। उन्होंने पंजाब के पटियाला जिले के कपूरी गांव में इसकी शुरुआत की थी। इसके तहत 214 किमी लंबी नहर बनाई जानी है। नहर का 122 किलोमीटर  हिस्सा पंजाब में है और बाकी 92 किमी हिस्सा हरियाणा में बनना है। हालांकि दोनों राज्यों के बीच विवाद के चलते यह योजना दशकों से लंबित है। बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दोनों राज्यों की मध्यस्थता करते हुए इस विवाद को सुलझाने का फरमान सुनाया था। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल और पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच बैठक हुई भी थी, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया था। 

 

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Content Writer

Gourav Chouhan