हुड्डा सरकार की बनाई पॉलिसी को हाईकोर्ट ने किया रद्द(video)

5/31/2018 1:21:35 PM

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार व कच्चे कर्मचारियों को झटका देते हुए वर्ष 2014 में हुड्डा सरकार के समय में बनाई गई सभी नियमितीकरण नीतियों को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि सरकार को कच्चे कर्मचारियों की जगह 6 महीने में रैगुलर भर्ती करनी होगी और अगर ऐसा करने में विफल रहती है तो कच्चे कर्मचारियों को 6 महीने बाद सेवा में नहीं रख सकेगी। हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने विभिन याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए बीते 2 अप्रैल को सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

हुड्डा सरकार ने कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के लिए 2014 के चुनावी साल में यह नियमितीकरण नीतियां बनाई थी। वर्ष 2014 में हुड्डा सरकार द्वारा बनाई गई सभी नियमितीकरण नीतियों को उसी साल सोनीपत निवासी योगेश त्यागी व सिरसा निवासी अंकुर छाबड़ा ने एडवोकेट अनुराग गोयल के माध्यम से चुनौती दी थी और इन नीतियों को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक पीठ द्वारा उमा देवी मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ बताया था। 

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में याचिकाकर्त्ताओं से सहमति जताते हुए कहा है कि यह नियमितीकरण नीतियां सुप्रीम कोर्ट द्वारा उमा देवी केस में दिए फैसले के विपरीत है और रद्द करने योग्य है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी साफ किया कि इन नियमितीकरण नीतियों के तहत नियमित हुए कर्मचारियों को दिए गए सभी लाभ वापस लिए जाए, क्योंकि हाईकोर्ट ने पहले ही अपने 2 सितम्बर 2016 के अंतरिम आदेश में यह साफ किया था कि उनका नियमितीकरण इस केस के अंतिम निर्णय पर आधारित होगा।

हाईकोर्ट ने कच्चे कर्मचारियों को थोड़ी राहत देते हुए उन्हें भविष्य में होने वाली नियमित भर्ती में आयु में छूट देने का निर्देश दिया और यह भी साफ किया कि भविष्य में होने सिर्फ पहली नियमित भर्ती में ही आयु में छूट मिलेगी न की हर बार। हाईकोर्ट ने रैगुलर करने की मांग को लेकर दायर सभी याचिकाओं को भी रद्द कर दिया। 
 

Nisha Bhardwaj