सुरक्षा की मांग करने वाले प्रेमी जोड़े की याचिका पर हाईकोर्ट ने की टिप्पणी

1/25/2018 12:19:27 PM

चंडीगढ़(ब्यूरो): संविधान को अस्तित्व में आए 68 वर्ष बीतने के बाद भी विशेषकर ग्रामीण इलाकों के लोग रूढि़वादी सोच के प्रभाव में हैं और पारंपरिक समाज में विश्वास रखते हैं। यह गंभीर रूप से सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांत को प्रभावित करता है। अंतरजातीय विवाह कर अपनी सुरक्षा की मांग करने वाले प्रेमी जोड़े की याचिका पर हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की है।

हाईकोर्ट ने कहा कि देश 68वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है मगर आज भी लोग रूढि़वादी परम्पराओं के प्रभाव में हैं। प्रेमी जोड़े ने अपने ही परिवार से अपनी जिंदगी और आजादी का खतरा बताया है। हरियाणा सरकार व अन्य को पार्टी बनाते हुए दायर प्रेमी युगल की सुरक्षा की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने पाया कि प्रेमी युगल का दावा है कि वह कानूनी रूप से विवाहित हैं और साथ रह रहे हैं। दोनों को स्वतंत्र भारत के नागरिक होने के नाते सम्मान व गरिमा के साथ रहने का अधिकार है। संविधान का अनुच्छेद 21 उनकी जिंदगी को सुरक्षा प्रदान करता है।

केस की परिस्थितियों को देखते हुए हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार व झज्जर के एस.पी. को याची पक्ष के केस को जांचने व इस पर विचार करने को कहा है। यदि पाया जाता है कि वास्तव में उनकी जिंदगी व स्वतंत्रता को खतरा है तो उन्हें जल्द सुरक्षा मुहैया करवाई जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि संवैधानिक धारणा जाति, पंथ, धर्म, अधिवास आदि के आधार पर भेदभाव को पूरी तरह खत्म करती है। यह स्वतंत्रता व समानता का प्रस्ताव है।

हाईकोर्ट ने कहा कि प्राचीन समाज में सामाजिक मूल्य स्वतंत्रता व समानता स्थापित करते थे। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की एक जजमैंट की कथनी को भी आधार बनाया जिसमें जाति प्रथा को राष्ट्र के लिए अभिशाप बताया था। जितनी जल्द यह खत्म हो उतना ही अच्छा है। यह उस समय लोगों को अलग कर रही थी जब लोगों को एक होकर चुनौतियों का सामना करने की जरूरत थी। ऐसी अंतरजातीय शादियां राष्ट्रहित में हैं जो जाति प्रथा को नष्ट करते हैं।