पुलिस जांच में जाति दर्ज करने की अनिवार्यता पर हाईकोर्ट ने मांगा शपथपत्र

7/1/2018 1:53:51 PM

चंडीगढ (धरणी): पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एफआईआर समेत पुलिस जांच में जाति दर्ज करने की अनिवार्यता पर हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ से शपथपत्र दाखिल करने को कहा है। शपथपत्र में यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम-1989 के अलावा कहीं और पुलिस जांच में अभियुक्त या शिकायतकर्ता की जाति का जिक्र करने का प्रावधान है।

छह माह पहले हरियाणा,पंजाब और चंडीगढ ने हाईकोर्ट के समक्ष सहमति व्यक्त की थी कि एफआईआर और पुलिस रिकॉर्ड से जाति के कॉलम हटा दिए जाएंगे। लेकिन दोनों राज्यों व केन्द्र शासित चंडीगढ ने इस शपथ पर अमल नहीं किया। अब जस्टिस पीबी भजन्तरी ने हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के गृृह सचिवों को शपथपत्र दाखिल कर स्पष्ट करने को कहा है कि क्या अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अलावा एफआईआर या पुलिस रिकॉर्ड में अभियुक्त या शिकायतकर्ता की जाति दर्ज करने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि जाति का जिक्र आने से मामले की जांच कर रहे अधिकारी पूर्वाग्रह में आ सकते है। यदि प्रावधान नहीं है तो जाति का कालम हटाने के लिए अलग से कोई परिपत्र जारी करने की जरूरत भी नहीं है।

हाईकोर्ट के एडवोकेट एचसी अरोरा ने याचिका दायर कर यह मुद््दा उठाया था और दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 और पंजाब पुलिस रूल्स 1934 के तहत पुलिस जांच में अभियुक्त, पीड़ित अथवा गवाह के जाति और धर्म का उल्लेख न करने के निर्देश देने की मांग की थी। याचिका में उन्होंने कहा था कि जाति का उल्लेख करना संविधान के प्रावधान के विपरीत है। बाद में पीठ को बताया गया था कि पंजाब की राय में पुलिस नियम 1934 के तहत इस्तेमाल किए जाने वाले फार्मों में जाति का उल्लेख करने की जरूरत नहीं है। चंडीगढ प्रशासन व हरियाणा की ओर से जाति के कॉलम हटाने के हलफनामे पेश किए गए थे।

Shivam