''उच्च न्यायालय ने दी शराब कारोबारियों को राहत''

5/27/2017 8:29:57 AM

अम्बाला शहर (बलविंद्र):मुख्य न्यायाधीश वजीफदार एवं अनुपिंद्र ग्रेवाल की खंडपीठ ने याचिका सी.डब्ल्यू.पी. नम्बर-11817 में हरियाणा सरकार को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता प्रदीप मित्तल की 24 अप्रैल 2017 को दिए मुख्यमंत्री हरियाणा को मांग पत्र पर 5 जून 2017 से पूर्व सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मांग पत्र पर निर्णय लें। गौरतलब है कि शराब कारोबारी प्रदीप मित्तल ने एक पत्र के माध्यम से मांग की थी कि हरियाणा प्रदेश की सीमाएं पंजाब, हिमाचल, यू.पी. एवं राजस्थान से सटी हुई हैं और इन राज्यों ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश दिनांक पालना करते हुए 220 मीटर की दूरी पर शराब व्यवसाय चलवा दिए लेकिन हरियाणा सरकार ने 220 मीटर की पालना नहीं की और हमारे प्रदेश के शराब व्यवसाय 500 मीटर की दूरी पर चल रहे हैं। जिस कारण हरियाणा प्रदेश के राजस्व एवं शराब व्यवसायियों को भारी नुक्सान उठाना पड़ रहा है और शराब व्यवसाय वैंटीलेटर पर आ गया है। 

उच्च न्यायालय में शराब व्यवसायी प्रदीप मित्तल के अधिवक्ता हेमंत बस्सी ने जोरदार दलीलें पेश कीं और मुख्य न्यायाधीश की डबल बैंच ने मांग पत्र को 5 जून से पूर्व निर्णय लेने का आदेश जारी किया। जबकि सरकार की ओर से दलीलें ममता सिंगला ने पेश कीं। शराब कारोबारी प्रदीप मित्तल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने शराब कारोबारियों को भारी राहत दी है।

31 मार्च को हुई थी सुनवाई 
31 मार्च 2017 को याचिका नम्बर 12168/16 में राहत याचिका पर सुनवाई करते हुए शराब कारोबारियों को भारी राहत दी थी। जिस लोकल बॉडी की आबादी 20,000 से कम है, वहां पर शराब व्यवसाय 220 मीटर की दूरी पर चल सकता है। इससे पूर्व 15 दिसम्बर 2016 तक सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि शराब व्यवसाय मुख्य मार्गों से 500 मीटर की दूरी पर चलेंगे। इसके बावजूद हरियाणा की आबकारी नीति 2017-18 में जो मार्च माह में कैबिनेट में पास की थी, उसमें यह प्रावधान किया था कि बीयर बार मुख्य मार्गों पर चल सकते हैं। 

प्रदेश सरकार ने अधूरे मन से सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों की पालना करते हुए बीयर बार 500 मीटर में लाने की पालना की लेकिन जो सुप्रीम कोर्ट ने जो 220 मीटर का निर्देश जारी किया था, उसकी अनदेखी की जिस वजह से प्रदेश सरकार व शराब कारोबारियों को भारी नुक्सान उठाना पड़ा। अब शराब कारोबारियों को पूरा भरोसा है कि हरियाणा सरकार माननीय सुप्रीम कोर्ट और कल के उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना अवश्य करेगी।