हाईकोर्ट का निर्देश: हरियाणा शहीद की पत्नी को दे 1 लाख रुपए, 11 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई

punjabkesari.in Saturday, Apr 01, 2023 - 08:41 AM (IST)

हरियाणा (स्पेशल डेस्क) : पाकिस्तानी पैराट्रूपर के साथ सितंबर 1965 में हुई मुठभेड़ में कांस्टेबल मान सिंह शहीद हो गए थे। शहीद होने के 6 दशक बाद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने ये साफ कर दिया कि हरियाणा सरकार को शहीद की 82 वर्षीय विधवा को 1 लाख रुपये देने होंगे।

बता दें कि पेंशन न मिलने की सूरत में शहीद मान सिंह की पत्नी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान ने हरियाणा प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (एएंडई) को याचिकाकर्ता (शहीद की पत्नी) को पेंशन बकाया के वितरण और लागत के भुगतान के संबंध में एक अनुपालन हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए। मामले की अगली सुनवाई अब 11 अप्रैल को होगी।


पंजाब-हरियाणा एक-दूसरे पर डालते रहे जिम्मेदारी

जस्टिस सांगवान ने आगे कहा कि दोनों सरकारों के सामने मामला आने के बाद विधवा को पेंशन देने की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालते रहे। जबकि जिसका पति युद्ध में शहीद हो गए हों। उन्हें तो तत्काल प्रभाव से वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए। जस्टिस सांगवान ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि दूसरे पर गलत तरीके से दायित्व तय करने के लिए दोषी पाए जाने वाले राज्य को 1 लाख रुपये की लागत वहन करनी होगी। हरियाणा और पंजाब के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (एएंडई) को भी एक संयुक्त बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया गया है। जस्टिस सांगवान ने पंजाब के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (एएंडई) द्वारा दायर एक हलफनामे को जांच कर कहा कि याचिकाकर्ता की पारिवारिक पेंशन में संशोधन के मुद्दे पर दोनों प्रदेशों के अधिकारियों की संयुक्त चर्चा हुई थी। इसमें निर्णय लिया गया था कि ऐसा ही हरियाणा प्रिंसिपल (एएंडजी) द्वारा भी किया जाएगा।


पंजाब ने 1966 में दी थी पेंशन

यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता की पारिवारिक पेंशन तत्कालीन पंजाब राज्य द्वारा 1 नवंबर, 1966 से प्रदान की गई थी। इसे बाद में महेंद्रगढ़ एसपी के माध्यम से भेजा गया था और याचिकाकर्ता के पेंशन मामले की फाइल भी हरियाणा (एएंडजी) के कार्यालय में थी। हरियाणा के प्रिंसिपल (एएंडजी) द्वारा पंजाब में अपने समकक्ष को कहा गया था कि नारनौल पुलिस अधीक्षक कार्यालय द्वारा प्रस्तुत पेंशन मामले की फाइल हरियाणा (एएंडजी) के कार्यालय में उपलब्ध थी।


भुगतान का ये है कारण

हरियाणा ने अपने हलफनामे में कहा कि 1 जनवरी, 1986 से संशोधित पारिवारिक पेंशन और ब्याज का भुगतान उसके प्रशासनिक विभाग द्वारा किया जाना था लेकिन आज तक ब्याज सहित वास्तविक भुगतान नहीं किया गया है। जस्टिस सांगवान ने कहा कि जैसा कि 20 फरवरी के अंतिम आदेश में पाया गया कि जो भी राज्य दूसरे राज्य पर गलत तरीके से दायित्व तय करने के लिए दोषी पाया जाएगा। उसे 1 लाख रुपये की लागत वहन करनी होगी। अब हरियाणा राज्य की जिम्मेदारी है कि वह तय रुपये भुगतान करे।

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Content Writer

Manisha rana

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