हाईकोर्ट ने 33 साल से चली आ रही कानूनी लड़ाई का किया निपटारा, जानिए क्या था मामला

punjabkesari.in Friday, Sep 12, 2025 - 08:44 AM (IST)

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने करीब साढ़े तीन दशक पुराने जमीनी विवाद पर बुधवार को अंतिम फैसला सुनाते हुए लंबित अपील को समाप्त कर दिया। इस मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक गुप्ता ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए 33 साल से चली आ रही कानूनी लड़ाई का पटाक्षेप किया।

मामला सिरसा जिले के निलियांवाली गांव का है, जहां 25 मई, 1988 को सुरिंद्र पाल सिंह और अन्य ने 73 कनाल 7 मरला कृषि भूमि 1.51 लाख रुपए में दर्शन सिंह को बेच दी थी। दर्शन सिंह ने दावा किया था कि वह पहले से ही इस जमीन पर एक तिहाई हिस्सेदारी के आधार पर खेती कर रहा है। पंजाब सुरक्षा भूमि धारण अधिनियम की धारा 17-ए के तहत उसका यह अधिकार सुरक्षित था। हालांकि, उसी जमीन का सह भू-स्वामी नंद सिंह इस सौदे के खिलाफ कोर्ट पहुंच गया। उसने प्री-एम्पशन राइट यानी वरीयता अधिकार के तहत दावा किया कि सह-भू-स्वामी होने के नाते उसे पहले

खरीदने का अधिकार है और दर्शन कब्जे में अजनबी है। नंद सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि बिक्री विलेख में दाम बढ़ा चढ़ाकर दिखाए गए और फसल निरीक्षण रिकॉर्ड (खसरा गिरदावरी) में हेरफेर कर दर्शन के पक्ष में एंट्री करवाई गई। ट्रायल कोर्ट ने 1991 में नंद सिंह की याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने माना था कि दर्शन सिंह की किरायेदारी असली थी और राजस्व रिकॉर्ड में उसकी पुष्टि भी की गई थी। साथ ही यह भी दर्ज किया गया कि खसरा गिरदावरी में सुधार विधिवत नोटिस और ग्राम अधिकारियों की मौजूदगी में किए गए थे। इसके बावजूद नंद सिंह ने 1992 में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मामला 33 साल तक लटका रहा।

इस दौरान कई मूल पक्षकारों की मृत्यु हो गई, लेकिन मुकद्दमा चलता रहा। अंतत जस्टिस दीपक गुप्ता ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए अपील खारिज कर दी और कहा कि दर्शन सिंह का कब्जा व किरायेदारी वास्तविक और वैध थी।


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Content Writer

Isha

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