सोनीपत में हुड्डा की आहट से भाजपा व जजपा में संशय

3/17/2019 9:31:40 AM

सोनीपत (दीक्षित): पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के लोकसभा चुनाव में उतरने की आहट सोनीपत को हॉट सीट बना सकती है। भाजपा व जजपा की रणनीति पूरी तरह से अब इस बात पर निर्भर हो गई है कि कांग्रेस से प्रत्याशी कौन होगा। यही कारण है कि भाजपा व जजपा ने प्रत्याशी की घोषणा कांग्रेस के बाद करने का निर्णय लिया है। वहीं, यह भी तय है कि यदि भूपेंद्र हुड्डा सोनीपत से मैदान में आते हैं तो भाजपा व जजपा को भी बड़े कद के नेताओं को मैदान में उतारना पड़ेगा।

2 दिन पहले ही सुर्खियों में आई कांग्रेस कार्यसमिति की उस सूची के बाद से भूपेंद्र हुड्डा के चुनाव लडऩे की उम्मीद ज्यादा हो गई है, जिसमें उन्हें चेयरमैन बनाया गया था और दीपेंद्र हुड्डा को भी प्रचार समिति में शामिल किया गया था। हालांकि, सवा घंटे बाद ही सूची को वापस ले लिया गया था लेकिन यह सूची काफी-कुछ संशयों को साफ कर गई। सूत्रों ने यह भी बताया है कि भूपेंद्र हुड्डा आलाकमान के सामने चुनाव लडऩे की इच्छा जता चुके हैं। अब यह राहुल गांधी को तय करना है कि रोहतक में दीपेंद्र हुड्डा को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद सोनीपत से भूपेंद्र हुड्डा को प्रत्याशी बनाया जाता है या नहीं। 

सभी 10 सीटों पर 1 बार हारी व 1 बार जीती है कांग्रेस 
2014 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा से सांसद के रूप में कांग्रेस से केवल दीपेंद्र हुड्डा ही संसद में पहुंचे थे, जबकि उससे पहले वर्ष 2009 के चुनाव में हरियाणा से 10 में से कांग्रेस के 9 सांसद थे। हिसार से एकमात्र सांसद हरियाणा जनहित कांग्रेस के भजन लाल बने थे। वहीं, 2004 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने 10 में से 9 सीटें जीती थीं, जबकि सोनीपत की एकमात्र सीट भाजपा के खाते में गई थी। इससे पहले 1999 में हरियाणा में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था और सभी 10 सीटों पर कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था लेकिन 1998 कांग्रेस की 3 और 1996 के लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के खाते में 2 सीटें आई थीं। इससे पहले 1991 में भी कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 1984 में कांग्रेस ने हरियाणा की सभी 10 सीटों पर जीत दर्जकर सभी विपक्षी पार्टियों का सफाया कर दिया था। 

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