कार्यकर्ताओं की बैठक के बहाने हुड्डा ने अपने गढ़ में दिखाई ताकत

8/5/2019 10:48:33 AM

चंडीगढ़ (बंसल): पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को 2 मोर्चों पर लड़ाई लडऩी पड़ रही है,एक अपनी ही पार्टी द्वारा हाशिए पर धकेलने के प्रयासों से जूझना पड़ रहा है। वहीं,भाजपा जो देसवाली बैल्ट में ही धराशाही करने पर तुली है,को बचाने की लड़ाई लडऩी पड़ रही है। लोकसभा चुनाव में हुड्डा सोनीपत और रोहतक की सीट जरूर हार गए लेकिन उन्हें लगता है कि विधानसभा चुनाव परिणाम पक्ष में रहेंगे। इस सोच के चलते रोहतक में बड़ी रैली रखी,जिसमें प्रदेशभर से समर्थक जुटेंगे,ताकि स्वयं की पार्टी और भाजपा को संदेश जा सके कि वर्चस्व अभी कम नहीं हुआ है। 

हुड्डा ने 18 अगस्त की रैली से पहले रविवार को रोहतक में कार्यकत्र्ताओं की बैठक बुलाई थी,जिसमें भविष्य की रूपरेखा के अलावा रैली को लेकर चर्चा करनी थी। बैठक में समर्थक विधायक और अन्य नेता एकजुट नजर आए। इससे रैली से पहले ही हाईकमान को संदेश दिया है कि नजरअंदाजी जारी रही तो 18 अगस्त की रैली में परिवर्तन का कदम भी उठाया जा सकता है,क्योंकि चर्चा है कि हुड्डा नई पार्टी बना सकते हैं। भाजपा की ओर से राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का रोहतक में प्रवास करना, मुख्यमंत्री की यात्रा के समापन पर रोहतक में प्रदेशस्तरीय रैली करना हुड्डा को घेरने की रणनीति दिखाई देती है। 

देसवाली बैल्ट में भाजपा पर भारी पड़ी थी कांग्रेस 
2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 8 सीटें जीती थीं, जिसमें सोनीपत सीट जो देसवाली बैल्ट में आंकी जाती है, वहां कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जी.टी. रोड व अहीरवाल बैल्ट में कांग्रेस का सफाया कर दिया था लेकिन देसवाली बैल्ट में कांग्रेस भारी पड़ी थी और हुड्डा सहित कांग्रेस 12 सीटें जीत गई थी। हालांकि कांग्रेस ने उस दौरान 15 सीटें जीती थी लेकिन 12 सीटें हुड्डा के वर्चस्व वाले क्षेत्र से थी। इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने देसवाली बैल्ट की दोनों सीटें रोहतक और सोनीपत के साथ सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की। रोहतक में भाजपा जीती जरूर लेकिन बहुत कम वोटों से, ऐसे में विधानसभा चुनाव में लग रहा है कि बैल्ट में हुड्डा को घेरने की राह कठिन रहेगी तभी हर तरह के राजनीतिक हथकंडों को सहारा लेकर भाजपा पैठ बढ़ाने में जुटी हुई है। 

हुड्डा का कहना है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मुद्दे अलग-अलग होते हैं और भाजपा का मिशन 75 प्लस सपना बनकर रह जाएगा। मुख्यमंत्री भी मानते हैं लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग-अलग होते है लेकिन जिस तरह प्रदेश में भाजपा के पक्ष में हवा चल रही है ऐसे में भाजपा अपने मिशन 75 प्लस के आंकड़े को पार कर जाएगी। हालांकि हुड्डा के लिए यह चुनौती भी है कि जिस तरह से नेता अपनी-अपनी पार्टी छोड़ भाजपा में जा रहे हैं,ऐसे में उनके समर्थकों को कैसे रोका जाए, तभी हुड्डा ने कार्यकत्र्ताओं की बैठक में भीड़ जुटाकर और परिवर्तन रैली में भी अपनी ताकत दिखाकर कई तरह के संदेश देंगे जिससे राजनीतिक कद बरकरार रहे। 

नए गठजोड़ की चर्चाओं ने पकड़ा बल
माना जा रहा है कि हुड्डा कांग्रेस से अलग राह पर चलते हैं तो प्रदेश में नया गठजोड़ बनाकर चुनावी मैदान में उतरेंगे। अभय चौटाला द्वारा सदन के अंदर उनकी सीट पर जाकर बातचीत करना यही इशारा कर रहा है। हो सकता है कि गठजोड़ में बसपा भी शामिल हो जाए। ऐसा हुआ तो राजनीतिक तस्वीर का नजारा कुछ और ही दिखाई देगा। हालांकि उनके समर्थक मानते है कि हुड्डा कांग्रेस से अलग नहीं होंगे लेकिन हालात को देखते लगता नहीं कि वह कांग्रेस में बने रहेंगे। उनके पोस्टरों से कांग्रेस हाईकमान के नेताओं का गायब होना भी यही इशारा कर रहा है।

Edited By

Naveen Dalal