HSSC भर्ती घोटाला: आयोग को ‘क्लीन चिट’ देने की तैयारी!

4/13/2018 10:01:43 AM

अंबाला (नरेन्द्र वत्स): शिक्षित बेरोजगारों के हक पर डाका डालने वाले एच.एस.एस.सी. के गिरोह का पर्दाफाश होने के बाद पुलिस पंचकूला में एक और गिरोह के सदस्य को काबू कर चुकी है। विपक्ष इस मामले में लगातार न्यायिक जांच कराने की मांग कर रहा है और सरकार ऐसा करने को जरा भी तैयार नजर नहीं आ रही। सूत्रों के अनुसार आयोग के सदस्यों की भूमिका उजागर न हो इसलिए सरकार केस की न्यायिक जांच कराने को तैयार नहीं है। अगर आयोग के किसी सदस्य या सत्तापक्ष के किसी नेता का नाम जांच में सामने आता है तो इससे सरकार की भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरैंस’ नीति को बट्टा लग जाएगा। विपक्ष के आरोपों का सामना कर रही सरकार को अब 18 अप्रैल से प्रदेश के युवाओं के विरोध का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।

मुख्य बात यह है कि जिन लोगों को पास कराने के नाम पर पैसे लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, वे इंटरव्यू में नंबर बढ़वाने के नाम पर पैसे लेते थे। इंटरव्यू में आयोग के चेयरमैन से लेकर सदस्यों तक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जिनमें टैस्ट में ज्यादा नंबर हासिल करने वाले आवेदकों को इंटरव्यू में कम और टेस्ट में कम नंबर हासिल करने वाले आवेदकों को इंटरव्यू में ज्यादा अंक दिए गए। इसमें आयोग की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। सी.एम. खट्टर भ्रष्टाचार के पक्षधर तो नजर नहीं आ रहे परंतु न्यायिक जांच से बच कर वे विरोधियों के निशाने पर जरूर आ रहे हैं। उन्होंने फरीदाबाद के आबकारी एवं कराधान विभाग में करोड़ों रुपए का घोटाला उजागर कराया है। 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सत्तापक्ष से जुड़े कुछ नेताओं के नाम न्यायिक जांच में उजागर होने की पूरी आशंका है, जिस कारण सरकार जांच के दायरे को पुलिस तक ही सीमित रखना चाहती है। पुलिस हमारी सरकार के इशारे पर ही काम करती है। ऐसे में पुलिस जांच में भर्ती घोटाले के पूरी तरह साफ होने की संभावनाएं काफी कम दिखाई दे रही हैं। विपक्ष मामले की न्यायिक जांच कराने को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करने के मूड में है। इसी कड़ी में गुरुवार को आम आदमी पार्टी ने आयोग के दफ्तर के सामने मानव शृंखला बनाई।

पुलिस को इस स्कैम की जानकारी काफी पहले से थी। इसके बावजूद आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी हुई। इस दौरान भी भर्ती प्रक्रिया चलती रही थी, जिससे माना जा रहा है कि इस दौरान हुई भर्तियों में भी जमकर धांधली हुई होगी। इंटरव्यू में धांधली इस कदर हुई कि टैस्ट में अच्छे अंक लेने वाले आवेदकों को इंटरव्यू में 25 में से 6 या 7 नंबर ही दिए गए, जबकि टैस्ट में कम अंक लेने वालों को इंटरव्यू में 25 में से 20-22 नंबर दे दिए। इससे योग्य युवा तो नौकरी पाने से बच गए और अयोग्य ‘सैटिंगधारी’ नौकरी पाने में कामयाब रहे, सरकार अभी तक इस मामले में आयोग की भूमिका नहीं मान रही है। कारण साफ है कि अगर सरकार ऐसा करती है, तो इससे बदनामी के छींटे उसके ‘ईमानदारी’ के दामन पर जरूर पड़ेंगे। अगले विधानसभा चुनावों में उसके लिए इस मुद्दे पर विपक्ष और जनता के सवालों का जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। विपक्ष अभी सरकार पर पूरी तरह हमलावर है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला लगातार सरकार पर निशाना साध रहे हैं। आम आदमी पार्टी सीधे तौर पर इस मामले में सी.एम. की भूमिका का आरोप लगा रही है। सरकार पर आयोग को भंग करने का दबाव बनाया जा रहा है। सत्ता पक्ष की ओर से आयोग के सदस्यों और चेयरमैन का खुलकर बचाव किया जा रहा है। 
 

Nisha Bhardwaj