हरियाणा: हिरासत में मौत पर मानव अधिकार आयोग ने दिया सात लाख का मुआवजा देने का निर्देश

3/5/2021 10:10:14 PM

चंडीगढ़ (धरणी): पानीपत में एक 33 वर्षीय युवक राजेश की दिसंबर 2018 में पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद उपचार के दौरान मृत्यु हो गई थी। इस मामले में मृतक के परिवार द्वारा हरियाणा मानव अधिकार आयोग में पुलिस हिरासत के दौरान राजेश की मृत्यु होने पर हिरासत में प्रताडऩा की शिकायत दी गई थी। मामले की सुनवाई पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं चेयरमैन न्यायमूर्ति एसके मित्तल व दीप भाटिया ने करते हुए मृतक के परिवार को सरकार द्वारा 7 लाख मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।

आयोग ने कहा है कि राजेश मृतक को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस नियम अनुसार राजेश को निश्चित अवधि में मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने में असफल रही तथा उसकी हालत बिगडऩे के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी मृत्यु हो गई। आयोग ने कहा कि मृतक पर लगे चोटों के बारे में पुलिस अपना कोई स्पष्ट संतुष्ट करने वाला जवाब नहीं दे पाई और सभी तथ्यों से ऐसा लगता है कि मृतक को गिरफ्तारी के दौरान ही चोटें लगी, जिस वजह से दोषी अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं।

इस मामले में पुलिस ने 1317 नंबर मुकदमा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 365/302/34 के तहत पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। मामले परिवार का आरोप था कि मृतक राजेश की गिरफ्तारी 8 दिसंबर 2018 को ही कर ली गई थी तथा उसे गैर कानूनी हिरासत में रखा गया था और हिरासत के दौरान थर्ड डिग्री प्रताडऩा की गई जिसकी वजह से उसकी हालत खराब हो गई और आनन-फानन में बाद में उसकी गिरफ्तारी दिखा कर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।

यह भी आरोप लगाया गया कि गिरफ्तारी दिखाने के बाद भी उसे नियम अनुसार मजिस्ट्रेट के सामने 24 घंटे में पेश नहीं किया गया था। मामले की आयोग ने बारीकी से पड़ताल की तथा राज्य सरकार को मृतक के परिवार को सात लाख रुपए बतौर मुआवजा देने वा दोषी अधिकारियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच करके उचित कार्यवाही के भी  निर्देश दिए हैं। आयोग ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार चाहे तो दोषी अधिकारियों से मुआवजे की रकम वसूल कर सकती है।
 

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Content Writer

Shivam