हरियाणा: राईस मिलरों ने नहीं जमा किया पैसा तो गारंटरों से की जाएगी वसूली

1/31/2020 11:41:24 PM

चंडीगढ़(धरणी): प्रदेश में धान का घपला करने वाले राईस मिलरों द्वारा सरकार के पैसे न चुकाने पर ये राशि उनके गारंटर से वसूली जाएगी। ये जानकारी प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी के दास ने दी। विभाग द्वारा राईस मिलों की की गई फिजिकल वेरिफिकेशन में 1206 से ज्यादा मिलों में कम धान पाया गया था, जिसको लेकर विभाग ने इन सबसे जवाब मांगा था, लेकिन इनमें से 450 ने कोई जवाब नहीं दिया।

अब विभाग ने इन पर सख्त कदम उठाते हुए पांच फरवरी तक इन्हें गायब धान की राशि व्याज सहित जमा करवाने के आदेश जारी किए हैं। सरकार ने इसके साथ ही इनके गारंटरों को भी लिख दिया है कि अगर मिलर ये राशि जमा नहीं करवाएंगे तो ये सारी राशि गारंटरों से वसूली जाएगी। पी के दास के मुताबिक ये कुल राशि करीब 25 से 27 करोड़ रुपए के बीच बनती है।

धान घोटाले को लेकर हरियाणा सरकार अब सख्त नजर आ रही है। 1206 मिलों में धान की कमी पाए जाने के मामले में  खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने बताया कि जिन मिलों में धान की कमी पाई गई थी उन्हें नोटिस जारी किए गए थे। जिसमें इन मिलों से धान में कमी पाए जाने का कारण पूछा गया है। जबकि नोटिस में उन्हें यह भी पूछा गया है कि उनपर कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक कानूनी कारवाही क्यों न की जाए। नोटिस का जवाब देने के लिए इन मिलों को 15 जनवरी तक का समय दिया गया था। 

पीके दास ने बताया कि नोटिस में यह भी लिखा गया था कि अगर 15 जनवरी तक मिलों का जवाब नहीं आता तो ये समझा जाएगा कि यह मिलें अपनी सफाई में कुछ नहीं कहना चाहती। घोटाला करने वाली मिलों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। जिसमें उनसे घोटाले का पैसा रिकवर किया जाएगा, वहीं उनके खिलाफ मामला भी दर्ज करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इनसे पैसा रिकवर करने की कार्यवाही में अभी कुछ समय लगेगा, इसके बाद इनपर मामला दर्ज करवाया जाएगा।

वहीं पीके दास की अध्यक्षता में बनी प्रोक्योरमेंट कमेटी को लेकर उन्होंने बताया कि यह कमेटी भारत सरकार ने उनकी अध्यक्षता में बनाई है। जिसमें फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के जॉइंट सेक्रेटरी के अलावा पंजाब, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, तेलंगाना और आंध्रा प्रदेश के भी अधिकारी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस कमेटी का मुख्य उद्देश्य प्रोक्योरमेंट प्रोसेस में छोटे और सीमांत किसानों को कैसे अधिक से अधिक फायदा मिले, इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा।

Shivam