सिविल अस्पताल में मां बनी बिन ब्याही नाबालिगा

5/29/2018 1:50:32 PM

जींद: जिले के सिविल अस्पताल में एक बिन ब्याही नाबालिगा मां बनी। इसकी किसी को कानोंकान खबर नहीं लगने दी गई। चौंकाने वाले इस मामले में 16 मई को जींद के सिविल अस्पताल में एक बिन ब्याही नाबालिगा प्रसव पीड़ा में पहुंचती है। उसके साथ सफेद कुर्ते-पायजामे वाला एक युवक भी था। 

सिविल अस्पताल के प्रसूति वार्ड में महिला चिकित्सक इस बिन ब्याही नाबालिगा की तुरंत जांच करती है और उन्हें लगता है कि तुरंत इस गर्भवती बिन ब्याही नाबालिगा का सिजेरियन (आप्रेशन से डिलीवरी करवाना) नहीं किया गया तो मां और बच्चे की जिंदगी को खतरा पैदा हो जाएगा। बिन ब्याही मां के गर्भ में पल रहे बच्चे की जांच की गई तो बच्चे का प्लस रेट बहुत कम था। 

उसे तुरंत गर्भ से बाहर निकालना जरूरी था। इसके लिए आपे्रशन करने का फैसला हुआ। सिजेरियन से मां और बेटे की जिंदगी तो बचा ली गई। लेकिन इस बिन ब्याही नाबालिगा का इस तरह सिविल अस्पताल में सिजेरियन किए जाने बारे अस्पताल के अधिकारियों से लेकर पुलिस तक किसी को भी सूचना नहीं दी गई। मामला पूरे 12 दिन तक दबाए रखा गया। सोमवार को इस मामले की भनक पंजाब केसरी को मिली तो पूरे मामले को खंगाला गया। सिविल अस्पताल के अधिकारियों से लेकर पुलिस अधिकारियों से बात की गई। 

स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की जांच 
कार्यवाहक सिविल सर्जन डा. पालेराम ने अस्पताल के प्रसूति वार्ड के रिकार्ड को तलब किया है। इसमें भी इस बात की पुष्टि हुई है कि अस्पताल में 16 मई को एक नाबालिगा का सिजेरियन हुआ। डा. पालेराम ने कहा कि इस तरह सिजेरियन की सूचना पुलिस और प्रशासन तथा सिविल अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दी जानी चाहिए थी। मामले में विभागीय जांच होगी। 

एस.एस.पी. ने कहा- मामले की हो रही जांच 
एस.एस.पी. डा.अरुण सिंह ने बताया कि मामले में जांच शुरू की है। कायदे से इस तरह किसी बिन ब्याही नाबालिगा की डिलीवरी करवाने से पहले या इसके तुरंत बाद सूचना डी.सी., एस.एस.पी. और सिविल सर्जन को दी जानी चाहिए थी। इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है। यह जांच का विषय है और स्वास्थ्य विभाग को इसकी अलग से जांच करनी चाहिए। 
 

Rakhi Yadav