सख्ती के बावजूद महिलाएं करवा रही लिंग निर्धारण जांच, 5 सालों में 154 आए मामले सामने

10/7/2019 8:59:42 AM

चंडीगढ़ (अर्चना): हरियाणा में पी.एन.डी.टी. एक्ट 1996 की सख्ती के खौफ से गर्भवती महिलाओं की लिंग निर्धारण जांच आसपास के राज्यों में गैर-कानूनी तरीके से की जा रही है। बीते सालों के मुकाबले हालांकि ग्राफ गिरा है परंतु कोख में पलने वाली लड़की है या लड़का, जानने के इच्छुक अभी भी मौजूद हैं। पांच सालों में 154 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें हरियाणा की महिलाओं की कोख में पलने वाले भ्रूण का लिंग निर्धारण किया जा रहा था। गर्भस्थ शिशु के लिंग निर्धारण के लिए पंजाब के अलावा दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में चलने वाले अवैध अल्ट्रासाऊंड सैंटर्स में ले जाया जाता है। इसके लिए बाकायदा रैकेट काम कर रहे हैं।

लड़की होने पर ठिकाने लगाने का लालच देकर गर्भवती महिला और परिवार से मोटी रकम भी ऐंठी जाती हैं। हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को ध्यान में रख हरियाणा के अल्ट्रासाऊं ड सैंटर्स पर पैनी नजर रखी जा रही है परंतु एजैंट आसपास के राज्यों में ले जाकर लड़कियों का खून बहाने के तरीके खोजने में लगे हुए हैं। आंकड़ों की माने तो हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग ने 5 सालों दौरान 154 अंतर्राज्य, 137 अंतॢजला, 144 जिलों के अंदर छापेमारी कर गिरोहों का भांडा फोड़ा है।


प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टैक्नीक 1990 के तहत जन्म से पूर्व गर्भस्थ शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसा अल्ट्रासाऊंड करवाने वाले पेरैंट्स और जांच करने वाले डाक्टर व लैब कर्मचारी को 5 साल तक की सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने का प्रावधान है। हरियाणा सरकार ने गिरते लिंगानुपात को ध्यान में रख पी.एन.डी.टी. एक्ट को सख्ती से लागू किया है। इसके चलते हरियाणा का लिंगानुपात 925/1000 को छू गया जबकि 10 साल पहले दर 853/1000 थी।

वल्र्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन का मानना है कि राज्य की लिंगनुपात दर 952/1000 स्वस्थ दर मानी जा सकती है। जबकि हरियाणा में पहले कोख में पलने वाले भ्रूण को लड़की पाए जाने पर मार गिरा दिया जाता था। झज्जर, जींद, कुरुक्षेत्र, पंचकूला, पानीपत, महेंद्रगढ़ जिलों में लिंगानुपात दर में सुधार पाया गया है जबकि पहले हालात खराब थे। 

Isha