बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में नयनपाल रावत की भूपेंद्र हुड्डा को सलाह, बोले-सपने देखना बंद कर दें हुड्डा

punjabkesari.in Thursday, Jun 20, 2024 - 06:28 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): लोकसभा के चुनावी परिणाम के बाद हरियाणा में रोजाना हो रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच कांग्रेस की ओर से लगातार सरकार के अल्पमत में होने का दावा किया जा रहा है। इसी को लेकर कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में राज्यपाल से मुलाकात करने के अलावा प्रदर्शन भी किया जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत ने सरकार के अल्पमत वाले भूपेंद्र हुड्डा के दावे को खारिज करते हुए उन्हें सपने देखना बंद करने की सलाह दे डाली। इतना ही नहीं रावत ने आगामी दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी प्रदेश में तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनने का भी दावा किया। 

2019 के विधानसभा चुनाव में नयनपाल रावत के साथ सरकार को समर्थन देने वाले कुछ अन्य निर्दलीय विधायकों का सरकार से समर्थन वापस लिए जाने पर रावत ने कहा कि राजनीति हो या फिर कुछ और बार-बार निर्णय नहीं बदलना चाहिए। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि हरियाणा में भी आया राम-गया राम की राजनीति होती रही है, और इतिहास में ऐसे लोगों का नाम भी लिखा जाता है, जो ऐसी हरकतें करते हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता और सरकार तो आती-जाती रहती हैं, लेकिन वह इस प्रकार के नेता के रूप में अपना नाम नहीं लिखवाना चाहते। इसलिए जिस पार्टी और नेता को उन्होंने समर्थन दिया है, जब तक वह सरकार है, तब तक उनका समर्थन जारी रहेगा। 

‘बीजेपी के लिए राष्ट्र पहले’
नेताओं की ओर से दल बदले जाने को लेकर निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत ने कहा कि बीजेपी के नेताओं के लिए राष्ट्र पहले और पार्टी दूसरे स्थान पर है। इसलिए वह भी बीजेपी को पसंद करते हैं। आज जनता सब कुछ अच्छे से जानता है। जब हमने किसी को समर्थन दिया तो उसे छोड़कर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि अपना घर चाहे छोटा हो या फिर बड़ा, अपना होता है। दूसरों के घर में ठिकाना बनाना आसान नहीं होता। उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और उनके बेटे बृजेंद्र सिंह का उदाहरण देते हुए कहा कि आज वह लोग ना घर के रहे और ना घाट के। इसलिए इंसान को अपनी लीक और स्टैंड नहीं छोड़ना चाहिए। 

‘हुड्डा सपने देखना बंद करें’

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से बार-बार सरकार के अल्पमत में होने का दावा किए जाने पर नयनपाल रावत ने कहा कि जब फ्लोर टेस्ट होगा या फिर हुड्डा विश्वास मत लाएंगे तो सब पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि 10 साल में तरह-तरह के खेल खेलने के बाद जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर और किसानों के नाम पर जनता में भ्रामक प्रचार किए जाने के बावजूद कांग्रेस लोकसभा में केवल 5 सीट पर ही पहुंच सकी। करीब 45-46 विधानसभा में कुछ वोट ज्यादा मिल गई तो यह लोग उसे आंकड़ा मानकर प्रदेश में सरकार बनाने की सोचने लगे है। उन्होंने दावा किया कि 2024 के चुनाव में इस बार भी बीजेपी की ही सरकार बनेगी। इसलिए हुड्डा को सपने देखना बंद कर देना चाहिए, क्योंकि जनता सब जानती है और हर चुनाव की अलग परिस्थितियां होती है। 

कौन है नयनपाल रावत ?
दरअसल पृथला के निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत साल 2019 में बीजेपी से टिकट के दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। वे पार्टी से नाराज होकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतर गए और कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक रघुबीर सिंह तेवतिया को 16429 मतों से हराकर चुनाव जीत गए। चुनाव के बाद बीजेपी को खुलकर समर्थन दिया और अब तक बीजेपी सरकार के साथ मजबूती से खड़े हैं। उनका साफ तौर पर कहना है कि सत्ता और सरकार तो आती-जाती रहती हैं, लेकिन वो इस प्रकार के नेता के रूप में अपना नाम नहीं लिखवाना चाहते। इसलिए जिस पार्टी और नेता को उन्होंने समर्थन दिया है, जब तक वह सरकार है, तब तक उनका समर्थन जारी रहेगा।

विधानसभा में बीजेपी का अंक गणित
लोकसभा चुनाव के दौरान दादरी से विधायक सोमबीर सांगवान, पुंडरी से रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी के विधायक धर्मपाल गोंदर ने तो कांग्रेस का पूरी तरह से समर्थन कर दिया। वहीं एक निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का निधन हो गया। ऐसे में नायब सिंह के साथ अब बीजेपी के 41 विधायकों के साथ हलोपा के गोपाल कांडा और पृथला विधानसभा सीट से विधायक नयनपाल रावत है। नयनपाल रावत अकेले ऐसे निर्दलीय विधायक है जिसके समर्थन से ही सरकार चल रही है यानि सरकार की चाबी इस वक्त नयन पाल रावत के पास ही है। 

विधानसभा का कुल आंकड़ा ?
विधानसभा की मौजूदा स्थिति की बात करें तो 90 में से बीजेपी के पास 41 सीटें, कांग्रेस के पास किरण चौधरी के बिना 28 सीटें, जेजेपी के पास 10, हलोपा और इनेलो के पास एक-एक सीट, 5 निर्दलीय विधायक और 3 सीटें खाली है। यानि कि अगर पूरा विपक्ष एक साथ आए तो भी उनके पास 43 सीटें है, वहीं सरकार के पास भी 43 विधायकों का समर्थन है, लेकिन किरण चौधरी का बीजेपी में आने के बाद और विधायक पद से इस्तीफा नहीं देने के बाद सरकार के पास 44 विधायकों का समर्थन हो गया है।

 


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Content Writer

Isha

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