लोकसभा में हुई जिसकी जय-जयकार, उसी की प्रदेश में बनी सरकार

4/15/2019 10:25:36 AM

ब्यूरो: हरियाणा के अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद यदि प्रदेश के सियासी इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो साफ हो जाता है कि राज्य में संसदीय चुनावों के परिणाम विधानसभा चुनावों पर असर डालते रहे हैं। इसी वजह से लोकसभा चुनावों को हरियाणा विधानसभा का एक तरह से सैमीफाइनल भी माना जाता रहा है। रोचक तथ्य यह है कि अधिकांश मौकों पर लोकसभा चुनावों में असरकारक रहने वाले राजनीतिक दलों की ही विधानसभा चुनावों में सरकारें भी बनीं। 

यदि हरियाणा के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो साल 1967 एवं 1971 में हरियाणा में सभी संसदीय सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली। इसके बाद साल 1967, 68 एवं 71 में कांग्रेस हरियाणा में भी सरकार बनाने में कामयाब रही। 1977 में पूरे देश में जनता पार्टी की लहर थी। हरियाणा में देवीलाल के नेतृत्व वाले भारतीय लोकदल ने 10 सीटों पर जीत हासिल की। लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों बाद साल 1977 में हुए विधानसभा चुनाव में देवीलाल के नेतृत्व वाले जनता दल ने 90 में से 75 सीटें जीतकर सरकार बनाई। इसके बाद साल 1980 में लोकसभा चुनाव हुए।

इसके करीब दो साल बाद 1982 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 36 जबकि लोकदल ने 31 सीटों पर जीत हासिल की। 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 10 सीटों पर जीत हासिल हुई लेकिन लोकसभा चुनाव के करीब 3 बरस बाद , देवीलाल के नेतृत्व में लोकदल ने 60 सीटों पर जीत दर्ज की। साल 1991 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सरकार भी बनाई।

साल 1996 में भारतीय जनता पार्टी-हविपा गठबंधन ने 7 संसदीय सीटों पर जीत दर्ज की और बाद में दोनों दलों ने हरियाणा में सरकार भी बनाई। 
इसी तरह से साल 1999 के लोकसभा चुनाव में इनैलो-भाजपा गठबंधन ने सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की और बाद में दोनों ने मिलकर हरियाणा विधानसभा चुनाव भी जीता। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनावों का बड़ा इम्पैक्ट विधानसभा चुनावों पर पड़ता रहा है, ऐसे में सभी की निगाहें इस बार के संसदीय चुनाव पर टिकी हैं कि इन चुनावों में प्रदेश की 10 सीटों पर क्या परिणाम सामने आता है।

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