भ्रष्टाचार का डंक : नक्शे के मामले में इंजीनियरिंग ब्रांच के अधिकारियों पर भी गिर सकती है गाज

3/23/2022 8:57:45 AM

फरीदाबाद: नगर निगम में भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार भ्रष्टाचार के नए मामले सामने आ रहे है। सोमवार को उजागर हुए ट्यूबवेल मामले में अब इंजीनियिरंग ब्रांच के अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है। नक्शा पास करवाने की एवज में ढाई लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में एसडीओ सुमेर सिंह, संयुक्त की पीए प्रवीण कालरा और बेलदार अमरपाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद अब इंजीनियरिंग ब्रांच के कई और अधिकारियों पर भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। 

यह मुकदमा भी हाईकोर्ट के निर्देश पर थाना एनआईटी में दर्ज हुआ है। एफआईआर नंबर-0113 के अनुसार आरोपी अधिकारियों में मौजूदा चीफ इंजीनियर बीके कर्दम, मौजूदा कार्यकारी अभियंता पदम भूषण, मौजूदा एसडीओ अमित चौधरी व जेई कुशल राव के नाम शामिल किए गए हैं। इन सभी अधिकारियों पर सैक्टर 21 डी के मकान नंबर 109 के पास टयूबवेल लगाने की आड़ में सरकारी खजाने को लाखों रुपए का चूना लगाने का आरोप है।

हाईकोर्ट में दायर की गई थी याचिका 
हाईकोर्ट में यह याचिका नवनीत सेठी द्वारा दायर की गई थी। इस याचिका पर एडवोकेट सुरेंद्र सिंह ने अदालत के समक्ष सभी साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिसके बाद अदालत ने फरीदाबाद पुलिस को आरोपी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। अदालत के आदेश पर ही पुलिस ने चीफ इंजीनियर बीके कर्दम, एक्सईएन पदम भूषण, एसडीओ अमित चौधरी व जेई कुशल राव के खिलाफ कई धाराएं लगाई हैं। पुलिस में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार यह मामला वर्ष 2018 का है, जब डी प्लान के तहत यह टयूबवेल स्वीकृत करवाया गया था।

कागज में ट्यूबवेल चालू, असल में लगाया ही नहीं
नगर निगम के रिकार्ड अनुसार यह टयूबवेल चालू है, मगर मौके पर यह लगाया ही नहीं गया है। टयूबवेल का यह मुददा आरडब्ल्यूए के चेयरमैन बीपी समस्तम द्वारा भी उठाया जा चुका है, उन्होंने इसकी शिकायत प्रशासन से की थी। मगर हाईकोर्ट में यह मामला नवनीत सेठी द्वारा दायर किया गया। बता दें कि नवनीत सेठी इंदिरा एंकलेव के रहने वाले हैं, जिन्होंने इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों के अलावा एसडीओ सुमेर सिंह के खिलाफ नक्शा पास करवाने की एवज में ढाई लाख रुपए की रिश्वत लेने का मुकदमा भी दर्ज करवाया है।

फर्जी बिल बनाकर करवाया भुगतान
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार इस टयूबवेल के फर्जी बिल बनाकर भुगतान भी करवाया जा चुका है। शिकायत के अनुसार मौके पर टयूबवेल लगाया ही नहीं गया, मगर उसके बिजली बिल का भुगतान भी नगर निगम द्वारा किया गया है। बिना चले टयूबवेल का बिजली बिल करीब 6 लाख रुपए आया है और एक लाख रुपए का भुगतान भी किया गया है। इस तरह से इन अधिकारियों ने आपसी मिलीभगत करके सरकारी खजाने को चूना लगाया है। कागजों में ही यह टयूबवेल लगाया गया है और मौके पर कोई टयूबवेल नहीं लगा है। 

Content Writer

Isha