अनौपचारिक बैठक में CM ने दिखाए कड़े तेवर, अब अफसरों पर सख्ती शुरू

1/18/2017 12:28:21 PM

चंडीगढ़:मुख्यमंत्री की घोषणाओं में ढुलमुल रवैया अपनाने वाले अफसरों पर अब सख्ती शुरू हो गई है। मंत्री समूह की अनौपचारिक बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने लम्बित घोषणाओं का रोडमैप तैयार करने के लिए प्रशासनिक सचिवों को सप्ताह भर का अल्टीमेटम दिया है। मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा है कि सभी प्रशासनिक सचिव अपने-अपने विभागों की लम्बित घोषणाओं की रिपोर्ट तैयार कर उन्हें भेजे। पहली बार मुख्यमंत्री ने संबंधित मंत्रियों के सामने प्रशासनिक सचिवों से वार्तालाप की और उन्हें 31 मार्च तक घोषणाओं को धरातल पर लाने के आदेश दिए। मौजूदा समय में करीब 2300 मुख्यमंत्री की घोषणाएं लम्बित पड़ी हुई हैं। 

गौरतलब है कि नव वर्ष की शुरूआत में ही मुख्यमंत्री ने लम्बित घोषणाओं को पूरा करने के लिए अफसरों को 3 महीने का समय दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि सी.एम. घोषणाओं के क्रियान्वयन में कोताही बर्दाश्त नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने हर सप्ताह प्रशासनिक सचिवों को प्रगति रिपोर्ट देने तथा सभी फिजिबल घोषणाओं को 31 मार्च तक हर हाल में पूरा करने के निर्देश दिए। मंत्री समूह की बैठक में अमूमन मंत्री ही शामिल होते हैं। लेकिन सी.एम. घोषणाओं की प्रगति रिपोर्ट लेने के लिए पहली बार सभी प्रशासनिक अफसरों को भी बैठक में रहने को कहा गया। 

विभिन्न पदों के लिए आवेदन आमंत्रित
हरियाणा के स्कूल शिक्षा निदेशालय ने फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बॉयोलॉजी तथा गणित विषय के नियमित पी.जी.टी. अध्यापकों से ‘जिला विज्ञान विशेषज्ञ’ व ‘जिला गणित विशेषज्ञ’ के लिए 27 जनवरी तक ऑनलाइन आवेदन आंमत्रित किए हैं। जो पहले ही ‘जिला विज्ञान विशेषज्ञ’ व ‘जिला गणित विशेषज्ञ’ के पद पर कार्य कर रहे हैं उनको भी नए सिरे से आवेदन करना होगा वरना उनका डैपुटेशन रद्द हो जाएगा।

पंचायती राज संस्थाओं को बनाया जाएगा सशक्त: खट्टर
चंडीगढ़ (संघी): हरियाणा सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं को चरणबद्ध रूप से विकासात्मक, रखरखाव एवं अनुरक्षण की विभिन्न गतिविधियां हस्तांतरित करके उन्हें और सशक्त करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आज यहां विभिन्न विभागों के प्रशासनिक सचिवों की बैठक की अध्यक्षता में ‘ग्राम स्वराज’ की परिकल्पना को सही मायने में साकार करने के मद्देनजर यह निर्णय किया। उन्होंने सभी विभागों से संबंधित ऐसी गतिविधियों की समीक्षा की जिन्हें पंचायती राज संस्थाओं को हस्तांतरित किया जा सकता हैं।