पहल: सेब अन्ना की किस्म जल्द हरियाणा वासियों को देगी मिठास का स्वाद

punjabkesari.in Friday, Jun 03, 2022 - 02:23 PM (IST)

चंडीगढ़ : हरियाणा की माटी भी अब सेब उगा सकेगी। पहाड़ों पर उगने वाले फलों को अब गर्म इलाके में भी फलते हुए देखा जा सकेगा। अब कम पानी से उगाने वाले फल व सब्जियों की सूची में किसान सेब को भी शामिल कर सकेंगे। प्रदेश में ड्रिप सिस्टम से सेब की अन्ना किस्म ने सेब के बढ़िया फल उगाए हैं। प्रदेश में सेब की खेती को कुरुक्षेत्र के इंडो इजराइल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सबट्रोपिकल फ्रूट्स (लाडवा) के ट्रायल ने मुमकिन किया है।

सैंटर में सेब अन्ना की किस्म जल्द प्रदेश वासियों को मिठास का स्वाद देगी। हरियाणा के इन सेबों का रंग, हिमाचल के सेबों के लाल रंग जैसा नहीं है, हालांकि दिखने में यह गोल्डन एप्पल जैसा लगता है परंतु सेब का स्वाद बिल्कुल अलग खट्टा और मीठा है। सैंटर में सेब उगाने के ट्रायल वर्ष-2018 में शुरू किए गए थे। सैंटर की आधा एकड़ जमीन पर 76 सेब के पौधे रोपे गए थे और बीते साल से इन पौधों पर सेब के अच्छे खासे फल निकलने में कामयाबी मिली थी। सेब का एक पेड़ 25 किलो सेब दे सकता है। सैंटर विशेषज्ञों का कहना है जून के अंत में यह सेब बाजार में पहली दफा बेचे जाएंगे।

'अन्ना' ने किया चमत्कार, 300 घंटे की चिलिंग में उगे
सैटर के बागवानी विशेषज्ञ डा. मदन सिंह का कहना है कि हरियाणा में सेब की अन्ना किस्म को उगाने में सफलता मिली है। अब तक सेब की खेती सिर्फ पहाड़ों पर ही संभव थी क्योंकि सेब को उगने के लिए माइनस डिग्री में तापमान की जरूरत होती है लेकिन हरियाणा जहां का तापमान कई दफा 47 डिग्री सैल्सियस तक पहुंच जाता है, वहां सेब को उगाने के प्रयास किए गए हैं। सेब की अन्ना किस्म को पहाड़ी सेबों के मुकाबले में कम चिल्लिंग की जरूरत होती है। पहाड़ी सेब को अगर बढ़ने के लिए 3000 घंटे चिल्लिंग की जरूरत होती है तो अन्ना सेब सिर्फ 300 घंटे की चिल्लिंग पर ही बढ़ जाता है। सर्दियों में हरियाणा का तापमान कुछ दिनों के लिए 7 डिग्री सैल्सियस के आसपास आता है, अन्ना सेब के लिए उतना तापमान ही काफी होता है।

इजराइल तकनीक से की खेतीबाड़ी
डा. मदन सिंह का कहना है कि अन्ना सेब की पौध सैंटर ने सोलन की डा. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फोरेस्ट्री से खरीदा है। एक पौध 100 रुपए में खरीदी गई है। आधा एकड़ जमीन पर इजराइल तकनीक के आधार पर लगाए गए 76 पौधों को लगाने, सिंचाई करने, खाद डालने और अन्य खेतीबाड़ी की चीजों को उगाने में साल भर के 10 हजार रुपए का खर्च आता है। जबकि हिमाचली सेब की पौध 300 रुपए में मिलती है। उनका कहना है कि सेंटर ने हरियाणा के बहुत से किसानों को सेब की खेतीबाड़ी का प्रशिक्षण दिया है। सेब की खेती भी कम पानी से की जा सकती है। ट्रायल के दौरान सेब की पौध को ड्रिप सिस्टम से पानी दिया गया है। फिलहाल किसानो को सेब की खेती करने की सिफारिश नहीं दी गई है। अब जब ठेकेदार सेंटर के सेबों को बेचेगा तो उसके बाद किसानों को बताया जाएगा कि वह कितनी जमीन पर कितनी पौध लगाकर खेती कर सकते है क्योंकि किसानों ने खेती से कमाई करनी है, किसानों का नुकसान नहीं होना चाहिए। इसी वजह से सेंटर में पहले सेबों की खेती के ट्रायल किए गए और उनके अच्छे नतीजे सामने आए है। सेबों को अब तक ठंडे इलाके का फल ही कहा जाता था, परंतु हरियाणा ने पुरानी व्यवस्था में बदलाव कर दिया है और गर्म इलाके में भी सेब को उगाया है।

ऐसे उगाया अन्ना सेब को हरियाणा की जमीन पर
डा. मदन सिंह ने बताया कि अन्ना सेब की अच्छी पैदावार के लिए इसे डोरसेट गोल्डन सेब से कुछ दूरी पर लगाया गया ताकि पौधों में क्रोस पोलिनेशन हो सके। क्रॉस पोलिनेशन से फल बहुत ही बढ़िया आते हैं। पौध को सामान्य खाद ही दी गई, कीटनाशकों के स्प्रे से भी पौध को बचाया गया। इजराइल की तकनीक के आधार पर हरियाणा में सेब के यह ट्रायल किए गए हैं। सेब की पौध दिसम्बर और जनवरी के माह में की जाती है। पौधे को पेड बनने में 3 सालों का समय लगता है। जून के अंत में सेब तोड़े जा सकते हैं और बाजार में बेच भी सकते हैं।


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Content Writer

Manisha rana

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