सांसद दुष्यंत ने इनैलो की अनुशासन समिति को बताया गैर-कानूनी

10/25/2018 8:14:31 PM

रोहतक(दीपक भारद्वाज): इनेलो सांसद दुष्यंत चौटाला ने अनुशासन समिति पर सवाल खड़े किए है। जिसमें उन्होंने 11 अक्टूबर को उनको भेजे गए नोटिस में अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को गलत करार देते हुए एक सवालियां पत्र लिखा है। जो इस तरह से है-

विषय: अधोहस्ताक्षरी के खिलाफ शुरु की गयी अनुशासनात्मक कारवाई के सन्दर्भ में।

श्रीमान
आप के द्वारा 11 अॅक्टूबर 2018 को भेजे गए नोटिस जिसमें मेरे खिलाफ विभिन्न प्रकार के आरोप लगाए गए हैं, उसके अनुसार मै इस प्रकार की गतिविधियों में शामिल हूं। जिसके कारण संगठन में कथित असन्तोष उत्पन्न हुआ और पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को नुकसान पहुंचाने का कार्य किया गया। इसके अलावा जन नायक देवी लाल जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में 7 अॅक्टूबर 2018 को आयोजित सभा में आरोपों के अनुसार हुई हूटिंग और अनुशासनहीनता के लिए मुझे कारण बताया जा रहा है। 


मेरा सदैव से यह प्रयास रहा है कि मै जननायक देवी लाल जी के आदर्शों के अनुरुप कार्य करते हुए उनके विचारों को मूर्त रुप प्रदान करने के साथ ही साथ उनके द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य करुं। देवी लाल जी द्वारा कहा गया यह वाक्य लोक राज लोक लाज से चलता है मेरे लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिंद्धांत और प्रेरणादायी सूत्र रहे है। चौ. ओम प्रकाश चौटाला जी के नेतृत्व में कार्य करने का जो गौरव मुझे प्राप्त हुआ है उसके लिए मै हृदय से कितना आभारी हूं इसे मै शब्दों में नहीं बयां कर सकता। इंडियन नेशनल लोकदल मेरा परिवार है और ऐसे लोगों जो चौ. देवी लाल जी के बताए हुए रास्ते पर चल कर उनके सपनो को पूरा करने हेतु सतत प्रयासरत हैं के साथ कार्य करना मेरे लिए आशीर्वाद के समान है।

प्रेषित नोटिस के सन्दर्भ में मैने 14 अॅक्टूबर 2018 और 17 अॅक्टूबर 2018 को लिखे गए पत्र के माध्यम से नछत्तर सिंह मलहान जी से अनुरोध किया था कि मुझ पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं उन आरोपों का उचित जवाब देने में सक्षम होने के लिए मुझे प्रासंगिक साक्ष्य उपलब्ध करवाया जाए। हालांकि मेरे द्वारा प्रेषित उपरोक्त पत्रों के संदर्भ में आप की तरफ से मुझे अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं प्राप्त हुई है। प्रेषित पत्रों की प्रतियां संलग्र हैं। मै उस समय स्तब्ध रह गया जब मुझे समाचार के (प्रिन्ट एंड इलेक्ट्रानिक मीडिया) द्वारा यह जानकारी प्राप्त हुयी कि 18 अॅक्टूबर 2018 को गुरुग्राम में कार्यकारिणी की एक बैठक आहूत की गयी। जिसमें इस मामले को आपकी अध्यक्षता में कार्यरत अनुशासनात्मक समिति को सौंपकर 25 अॅक्टूबर 2018 तक अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। 

इन घटनाक्रमो पर विचार करते हुए मै बड़े व्यथित मन से यह लिखने के लिए बाध्य हूूं कि इस समिति का अस्तित्व ही असंवैधानिक है क्यों कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की पालना नहीं कर रहा है। आप सभी इस तथ्य से भली भांति परिचित होंगे कि हमार देश एक लोकतांत्रिक देश है और इस प्रणाली के अंतर्गत कानून का शासन चलता है शासन का कानून नहीं। ऐसा अपेक्षित था कि यह समिति उचित और निष्पक्ष तरीके से मामले की जांच करेगी। लेकिन समिति के आचरण को देखते हुए मुझे प्रबल आशंका है कि समिति द्वारा मेरे अधिकारों का दमन किया जाएगा। यह अच्छी तरह से जानते हुए कि मैने नोटिस का जवाब देने के लिए आवश्यक सामग्री अथवा साक्ष्य उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया है मुझे ऐसे साक्ष्य उपलब्ध न करवाया जाना जिसके आधार पर यह नोटिस जारी किया गया है, मेरी आशंका को बल प्रदान करता है।  

यहां यह उल्लेख करना अनिवार्य है कि अनुशासनात्मक कार्यवाही के स्थापित मानदंडों के अनुरुप मुझे अपना पक्ष रखने के लिए व्यक्तिगत रुप से एक अवसर प्रदान किया जाना चाहिए था लेकिन इस मामले में चल रही कार्यवाही में इसे पूरी तरह से अनदेखा किया जा रहा है। वर्तमान परिस्थितियों के दृष्टिगत मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि यह समिति गैर कानूनी तरीके से कार्य कर रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि समिति के गठन के पहले दिन ही होने वाली कार्यवाही का भाज्य निर्धारित कर लिया गया था। आप से अनुरोध है कि कृपया मुझे उपरोक्त अनुरोध किए गए सभी साक्ष्य प्रासंगिक सामग्री के साथ उपलब्ध करवाएं तथा तत्पश्चात मेरी व्यक्तिगत सुनवाई के लिए एक तारीख निर्धारित की जाए। जिससे कि मै अपना पक्ष रखते हुए स्वयं को निर्दोष साबित कर सकूं। 

(उल्लिखित तथ्यों में कोई भी संपादन नहीं किया गया है, यह दुष्यंत चौटाला के पत्र से लिया गया अंश है)

Rakhi Yadav