डेरा प्रेमियों के गले से गायब हुआ इंसां लॉकेट, जानिए वजह

8/25/2017 8:23:35 AM

चंडीगढ़ (सनमीत):साध्वी यौन शोषण केस में आज आने वाले फैसले के मद्देनजर डेरा प्रमुख संत गुरमीत सिंह राम रहीम सिंह इंसां के अनुयायियों का पंचकूला आने का सिलसिला जारी रहा, लेकिन डेरा प्रेमी पुलिस प्रशासन से बचने के लिए पहचान छिपाकर आ रहे हैं। इंसां धर्म का प्रतीक इंसां लॉकेट प्रेमियों के गले से गायब हो गया है। आमतौर पर डेरा प्रेमी इंसां लॉकेट से अपने धर्म की पहचान बनाए रखने के लिए अपने गले में कमीज से बाहर रखते हैं, लेकिन पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स से बचने के लिए अब वे इसे शर्ट के अंदर ही पहन कर आ रहे हैं। ज्यादातर प्रेमी इंसां लॉकेट अपने घरों में ही छोड़कर आए हैं। पंजाब के संगरूर जिले से आए कश्मीर चंद और यू.पी. के इटावा से आए राम प्रकाश का कहना है कि फैसला डेरे के पक्ष में आए या विपक्ष में, हम केवल फैसला सुनने के लिए आए हैं।  

जाम-ए-इंसां पिलाने के साथ ही पहनाया जाता था इंसां लॉकेट 
शाह मस्ताना ने डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की थी। तत्पश्चात शाह सतनाम सिंह और फिर तीसरे संत गुरमीत राम रहीम सिंह विराजमान हुए। कई साल बाद 29 अप्रैल 2007 को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम सिंह ने अपने नाम के साथ इंसां शब्द जोड़ लिया और जाम-ए-इंसां पिलाकर अपने अनुयायियों को इंसां लॉकेट पहनने के साथ ही 47 मानवता भलाई के कार्यों का अनुसरण करने के निर्देश दिए। प्रेमियों ने भी अपने नाम के साथ इंसां शब्द जोड़ लिया। इंसां लॉकेट में पहले संत शाह मस्ताना, द्वितीय शाह सतनाम और मौजूदा संत गुरमीत सिंह राम रहीम इंसां की फोटो है। डेरा प्रेमियों ने शुरूआती दिनों में जाम-ए-इंसां पीने के बाद इंसां धर्म अपनाकर दो से तीन घंटे तक डेरे में पंक्तियों में खड़े होकर ये इंसां लॉकेट पहना था। इंसां लॉकेट को पहनने के लिए अनुयायी को अपनी पूरी आई.डी. और पता उस राज्य की 45 मैंबरी कमेटी के पास जमा करवाना पड़ता है।