महिला रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति होते ही संस्थागत डिलीवरी ने तोडा रिकॉर्ड

4/9/2019 6:50:18 PM

नूंह मेवात (ऐके बघेल): अल आफिया सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा में पुरुष डॉक्टरों की बजाय महिला डॉक्टरों द्वारा डिलीवरी कराने की खबर जैसे ही नूंह जिले की गर्भवती महिलाओं को लगी तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुस्लिम बाहुल्य नूंह जिले में जब तक डिलीवरी की जिम्मेवारी की जिम्मेवारी पुरुष डॉक्टरों के हाथों में रही तो महिलाएं एवं उनके परिजन सरकारी अस्पतालों से कतराते रहे।



पिछले एक महीने में तो सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा ने डिलीवरी के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। जहां महीने में 100-150 डिलीवरी होती थी, वहीँ मार्च माह में करीब 300 महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया। खास बात यह रही कि अगर आपरेशन की नौबत भी आई तो खून की कमी से लेकर अन्य जरूरतों को भी पांच महिला डॉक्टरों ने पूरा कर मरीज को रैफर तक भी नहीं किया। करीब 14 वर्ष के हो चुके नूंह जिले के इतिहास में यह पहला अवसर है , जब एक अस्पताल में एक नहीं बल्कि पांच महिला डॉक्टर हैं।



सिविल सर्जन डॉक्टर राजीव बातिश ने बताया कि करीब ढाई-ढाई लाख रुपये के प्रति माह वेतन पर एनएचएम के तहत दो महिला डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है, तो दो डॉक्टर कुछ दिनों पहले ही गुरुग्राम से नूंह भेजी गई हैं। इसके अलावा उपायुक्त पंकज यादव की धर्मपत्नी डॉक्टर मोनिका यादव भी महिला डॉक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं। डॉक्टर ज्योति डबास,  डॉक्टर हरप्रीत कौर, डॉक्टर चन्ना, डॉक्टर निवेदिता इस काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं।



आपको बता दें कि नूंह (मेवात) जिले की आबादी करीब 14 लाख है। महिलाओं में खून की कमी बहुत ज्यादा है, दूसरे जिलों की तुलना में बच्चों की संख्या यहां ज्यादा है। तत्कालीन पीएम देवगौड़ा के ज़माने में अल आफिया अस्पताल का काम शुरू हुआ,  लेकिन कई दशकों से यह महिला डॉक्टरों के लिए तरसता रहा। अकसर महिला डॉक्टरों की कमी और बदइंतजामी की वजह से यह अस्पताल सुर्ख़ियों में रहा, परंतु मौजूदा समय में मेवात की महिलाओं के लिए राहत भरी खबर है।



सिविल सर्जन डॉक्टर राजीव बातिश ने कहा कि लगातार महिला डॉक्टरों की मांग को देखते हुए यह कदम स्वास्थ्य विभाग ने उठाये और इसके अच्छे नतीजे सामने आने लगे हैं। सीएमओ ने बताया कि शिशु - मृत्यु दर में जो कमी मेवात में दर्ज की गई है, उसकी लिए लोगों में जागरूकता और स्वास्थ्य विभाग की मेहनत को कम नहीं आंका जा सकता। अब मेवात में बहुत ही कम जच्चा - बच्चा की मौत की बात सामने आ पाती हैं। दिन प्रतिदिन स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया जा रहा है।

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