शिक्षा विभाग के स्कूलों को निर्देश, कहा- सुरक्षा मानकों को सख्ती से करें लागू

9/18/2017 3:53:10 PM

चंडीगढ़: प्रद्युम्न हत्या केस के बाद शिक्षा विभाग अलर्ट हो गया है। अब इस तरह की घटना न हो इसके लिए शिक्षा विभाग ने सख्ती करते हुए सुरक्षा मानकों को लागू करने के निर्देश दिए हैं। हरियाणा के स्कूलों में पूरे स्कूल परिसर को कवर करने वाले सी.सी.टी.वी. लगाना, सुरक्षा समितियों का गठन करना, विद्यार्थियों को लाने-ले जाने के लिए सुरक्षित यातायात सुविधा सुनिश्चित करना और विद्यार्थियों में अच्छे व बुरे स्पर्श के साथ-साथ इंटरनेट जोखिम के बारे में जागरूकता फैलाना अनिवार्य होगा। स्कूलों में सुरक्षा नियमों के बारे में स्कूल शिक्षा विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश में संचालित सभी स्कूलों के लिए सुरक्षा नियमों को स्वीकृति प्रदान की है। 

स्कूल में इन जगहों पर CCTV लगाना अनिवार्य
उन्होंने कहा कि सभी सरकारी और निजी स्कूलों के लिए स्कूल प्रवेश द्वार व निकास द्वार पर सी.सी.टी.वी. लगाए जाएंगे। इसी प्रकार, स्कूलों के कारीडोर और सीढ़ियां, पुस्तकालय, ऑडिटोरियम, लिफ्ट के अंदर, डाइनिंग हॉल, खेल कक्षों, कम्प्यूटर लैबस, कक्षाओं के प्रवेश, शौचालयों के प्रवेश, खेल क्षेत्रों, स्वीमिंग पूलों, बसों के एकत्रित होने के क्षेत्रों, परिसर की बाहरी परिधि या दीवार जो भेद्य है आदि जैसे क्षेत्रों में भी सी.सी.टी.वी. लगाना अनिवार्य होगा। 

सुरक्षा समिति का गठन 
प्रवक्ता ने बताया कि सुरक्षा मानदंडों के नियमों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सभी स्कूलों को डी.सी. की अध्यक्षता में जिला सुरक्षा समिति, उपमंडल स्तर पर सब-डिवीजन मैजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में कमेटी और प्रिंसिपल की अध्यक्षता में स्कूल सुरक्षा समिति का गठन करना होगा। इसके अतिरिक्त, स्कूल प्रणाली के निरीक्षण के लिए एक मैकेनिजम प्रदान करना होगा। उन्होंने बताया कि स्कूल बसों में अनेक सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए। बस इंचार्ज यह सुनिश्चित करेगा कि सभी चालकों ने 6 महीने के एक रिफ्रैशर प्रशिक्षण सत्र में भाग लिया हो। 

स्कूल बसों को लेकर निर्देश
बसों का पीला रंग होना चाहिए और उस पर स्कूल बस शब्द व स्कूल का नाम और उसके रूट का विशेष रूप से उल्लेख होना चाहिए। स्कूल बसों के पास एक वैध फिटनैस, प्रदूषण सर्टिफिकेट और बीमा सर्टिफिकेट होना चाहिए। बसों में प्राथमिक सहायता बॉक्स, अग्निशमन उपकरण होने चाहिए। बसों में स्पीड गवनर सुचारु हों और उनकी 30 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक की स्पीड नहीं होनी चाहिए। यदि अभिभावक किसी कारण से अपने बच्चों को समय पर नहीं ले जाते हैं तो उन्हें अनिवार्य रूप से संबंधित स्कूल अध्यापक को एस.एम.एस. या फोन के माध्यम से सूचित करना होगा। स्कूल का गार्ड बच्चों के जाने के स्थान को तब तक नहीं छोड़ेगा जब तक अंतिम विद्यार्थी नहीं चला जाता। उन्होंने बताया कि स्कूल परिसर सुरक्षित होनी चाहिए। एक विद्यार्थी अपने दिन का अधिकांश हिस्सा स्कूल में व्यतीत करता है। उसकी ओर से विभिन्न गतिविधियां जैसे शिक्षण, खेल, अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों व समारोह इत्यादि में भाग लिया जाता है। इसलिए इन सभी गतिविधियों के लिए स्कूलों में और उनके आस-पास सुरक्षित और रचनात्मक वातावरण होना आवश्यक है। 

प्रवक्ता ने बताया कि लड़कियों और लड़कों के लिए तथा अध्यापकों व सहायक स्टाफ के लिए अलग शौचालय होना चाहिए। सहायक स्टाफ को बच्चों का शौचालय का उपयोग करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, शौचालय प्रबंधन स्टाफ में केवल महिला होनी चाहिए। इसलिए शौचालय साफ करने वालों/सहायकों जैसे कार्यों के लिए स्कूल परिसर में कोई पुरुष स्टाफ नहीं होना चाहिए।