नहर में मोरी की जगह पाइप लगाने के मामले की होगी जांच
7/27/2018 12:13:04 PM
जींद(ब्यूरो): जींद और जुलाना क्षेत्र से गुजरने वाली नहरों और रजबाहों में परम्परागत मोरी की जगह लोहे के छोटे पाइप लगाए जाने के मामले की जांच होगी। जांच के सिलसिले में सिंचाई विभाग के आलाधिकारियों की एक टीम 29 जुलाई को जींद पहुंचेगी। जुलाना के इनैलो विधायक परमेंद्र ढुल ने इस पूरे मामले की शिकायत राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी से की थी। शिकायत में उन्होंने आरोप लगाए थे कि वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के विधानसभा क्षेत्र नारनौंद को ज्यादा नहरी पानी पहुंचाने के लिए जींद के साथ यह दुभात सिंचाई विभाग कर रहा है।
जुलाना के इनैलो विधायक परमेंद्र ढुल ने 26 जून को राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी को एक ज्ञापन सौंपकर कहा था कि प्रदेश सरकार जुलाना और जींद क्षेत्र में सिंचाई के लिए नहरी पानी कम दे रही है। सरकार ने जुलाना क्षेत्र के नहरी पानी में डाका डाला है और जुलाना का नहरी पानी का हक मारकर यह पानी आगे हिसार के नारनौंद क्षेत्र में पहुंचाया जा रहा है। विधायक परमेंद्र ढुल ने कहा कि जुलाना विधानसभा क्षेत्र की वर्तमान सिंचाई व्यवस्था यमुना वाटर सर्कल के जींद डिवीजन के अंतर्गत आती है। कानूनन इस क्षेत्र के खेतों में वर्तमान सिंचाई व्यवस्था से 70 प्रतिशत पानी हर हाल में दिए जाने का प्रावधान है। यह किसानों का हक भी है। उन्होंने कहा था किखेतों में समान रूप से पानी पहुंचाने के लिए सिंचाई विभाग रजबाहों और माइनर में पानी की मोरी लगाता है।
प्रदेश सरकार ने अचानक से नहरी पानी की मोरी के स्थान पर छोटी पाइप लगाना शुरू कर दिया। पाइप का साइज केवल 4 इंच का है और इससे किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। उदाहरण के तौर पर जब से पाइप लगने शुरू हुए हैं, एक एकड़ की सिंचाई में लगभग 10 घंटे लग रहे हैं जबकि पहले 2 घंटे में एक एकड़ में सिंचाई हो जाती थी। नहरी पानी की मोरी की जगह पाइप लगने के बाद क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था से आपासी (माइनर और रजबाहे से पानी की निकासी) केवल 15 प्रतिशत तक रह गई है। इससे सीधे तौर पर क्षेत्र को सिंचाई व्यवस्था से मिल सकने वाला पानी 50 से 55 प्रतिशत तक कम हो गया है।