पंचायती जमीन पर आने वाले समय में धान लगाना अब होगा मुश्किल

6/2/2019 11:24:29 AM

फतेहाबाद: गिरते भूजल को देखते हुए प्रदेश के मुखिया ने 8 जिलों के कुछ खंडों में पंचायती जमीन पर धान न लगाने का फरमान जारी कर भूजल दोहन रोकने की प्रक्रिया शुरू की है। यदि यह पायलट प्रोजैक्ट कारगर साबित होता है तो आने वाले समय में फतेहाबाद की करीब 29 हजार एकड़ पंचायती भूमि में धान की रोपाई सम्भव नहीं होगी। हालांकि, सरकार ने धान की जगह मक्का व अन्य फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए योजना बनाई है। यह कितनी कारगर साबित होती है यह आने वाला समय बताएगा। वहीं, किसान यूनियनों का मानना है कि यदि सरकार धान का विकल्प दे दे तो किसान अपने आप ही धान की रोपाई करना बंद कर देंगे।

योजना का मकसद गिरते भूजल को बचाना
प्रदेश के 8 जिलों में पंचायती जमीन पर धान न बीजने की योजना मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई है। इस योजना का मकसद गिरते भूजल को बचाना है। इन जिलों में जो किसान यह सरकारी भूमि ठेके पर लेते हैं उनके लिए सरकार ने अन्य फसलों का विकल्प निकाला है, जिसमें मुख्यत मक्का, जवार और अन्य फसलें प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने योजना बनाई है।

जिले में है कुल 27394 एकड़ पंचायती जमीन
फतेहाबाद जिले में कुल 27394 एकड़ पंचायती जमीन है, जिसमें अधिकतर भूमि ठेके पर दी जाती है। फतेहाबाद जिले के भट्टूकलां खंड में सबसे अधिक पंचायती जमीन है। जिसमें भट्टूकलां में 5320 एकड़, फतेहाबाद में 4562 एकड़, भूना में 4099 एकड़, रतिया में 4460 एकड़, नागपुर में 2581 एकड़, टोहाना में 4412 एकड़, जाखल में 1958 एकड़ पंचायती जमीन है, जिसमें भट्टूकलां की पंचायती जमीन धान की रोपाई सबसे कम होती है। सबसे अधिक रतिया, टोहाना व जाखल की पंचायती जमीन में धान की रोपाई होती है।

जिले में 2446 कनाल पंचायती भूमि पर चल रहे हैं कोर्ट केस
वहीं, फतेहाबाद जिले की 2446 कनाल पंचायती जमीन पर कोर्ट केस चल रहे हैं, जिसमें फतेहाबाद के 1631, टोहाना के 82, रतिया के 733 कनाल भूमि हैं, जिस पर कोर्ट में केस चल रहे हैं, जिन पर लोगों का अवैध कब्जा है।

Isha