जाट आंदोलन ने तैयार कर दी थी भाजपा के लिए मजबूत जमीन

5/24/2019 9:00:25 AM

जींद(जसमेर): प्रदेश में फरवरी 2016 में हुए हिंसक जाट आरक्षण आंदोलन ने भाजपा के लिए मजबूत राजनीतिक जमीन उस क्षेत्र में भी तैयार कर दी थी,जो क्षेत्र भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से बंजर माना जाता था। भाजपा के दामन पर जाट आरक्षण आंदोलन दौरान हुई हिंसा व आगजनी के आरोप चस्पा करने का कांग्रेस और जजपा का दांव उलटा पड़ गया।  हिसार,सोनीपत, रोहतक, झज्जर,जींद, भिवानी, कुरूक्षेत्र जिलों में भाजपा को लोकसभा चुनावों में जिस तरह की ऐतिहासिक कामयाबी मिली,वह जाट आरक्षण आंदोलन दौरान हुई हिंसा व आगजनी की वजह माना जा रहा है। 

फरवरी 2016 में सोनीपत, रोहतक, झज्जर, हिसार, हांसी, भिवानी, जींद, कुरूक्षेत्र में जाट आरक्षण आंदोलन की लपटें तेजी से फैली थीं। सोनीपत जिले में हिंसा का रोहतक से भी ज्यादा तांडव हुआ था। नैशनल हाईवे नंबर-1 को देश की लाइफ लाइन कहा जाता है और कई दिन तक यह लाइफ लाइन भी जाट आरक्षण आंदोलन की हिंसा ने काटकर रख दी थी। इसके अलावा खुद रोहतक शहर जाट आरक्षण आंदोलन दौरान फैली हिंसा व आगजनी में बुरी तरह से झुलसा था।

यह प्रदेश के वह जिले हैं,जो राजनीतिक रूप से भाजपा के लिए इन लोकसभा चुनावों से पहले बंजर जमीन की तरह माने जाते थे, जहां कमल का फूल खिलाना इतना आसान नहीं था। कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व सी.एम.भूपेंद्र हुड्डा की भाजपा के रमेश कौशिक के हाथों करारी हार जाट आरक्षण आंदोलन दौरान हुई हिंसा व आगजनी के बाद बने माहौल का नतीजा मानी जा रही है।

भले ही लोकसभा चुनाव मोदी बनाम राहुल के नाम पर लड़े गए लेकिन मोदी का नाम राहुल के नाम तथा पूर्व सी.एम. भूपेंद्र हुड्डा के काम पर बहुत भारी पड़ा। वहीं भाजपा को पूर्व सी.एम.हुड्डा के बेहद मजबूत गढ़ सोनीपत में जिस तरह कामयाबी मिली है,उसे देखते हुए इस बात से मना नहीं किया जा सकता कि इसमें जाट आरक्षण आंदोलन की भी अहम भूमिका रही है। 

यह है प्रदेश में जाट आरक्षण आंदोलन का सफर
प्रदेश में जाटों को ओ.बी.सी.में आरक्षण देने की मांग जींद की धरती से उठी थी। 2008 में जींद में जाट महासभा ने जाटों को ओ.बी.सी. में आरक्षण की मांग को लेकर अधिवेशन किया था। इसमें प्रस्ताव पारित कर प्रदेश व केंद्र सरकार से जाटों को ओ.बी.सी.में शामिल कर आरक्षण देने की मांग की थी। सितम्बर 2010 में हिसार के मय्यड़ में जाटों ने हवा सिंह सांगवान की अगुवाई में नैशनल हाईवे रोकने का काम किया था।

मार्च 2011 में फिर इसी मुद्दे पर हिसार के मय्यड़ में जाट समुदाय ने यशपाल मलिक की अगुवाई में रेलवे ट्रैक जाम किया था। दिसम्बर 2012 में प्रदेश की तत्कालीन भूपेंद्र हुड्डा सरकार ने जाट समुदाय को 4 अन्य जातियों के साथ 10 प्रतिशत एस.सी.बी.सी. आरक्षण का प्रावधान किया था। मार्च 2014 में तत्कालीन यू.पी.ए. सरकार ने जाटों को ओ.बी.सी. में शामिल कर आरक्षण का लाभ दिया था। 17 मार्च 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने जाटों को ओ.बी.सी. में आरक्षण का प्रावधान रद्द कर दिया था।

उसके बाद 26 मार्च 2015 को पी.एम. नरेंद्र मोदी से खाप नेताओं ने जाटों को ओ.बी.सी. में आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर मुलाकात की थी। जाटों को ओ.बी.सी. में आरक्षण मोदी सरकार ने नहीं दिया तो 16 फरवरी 2016 को जाट आरक्षण आंदोलन शुरू हुआ और 26 फरवरी तक आते यह बेहद हिंसक हो चला था। जनवरी 2017 में फिर जाट समुदाय ने आरक्षण की मांग को लेकर पूरे प्रदेश में शांतिपूर्ण आंदोलन किया।

इससे बात नहीं बनी तो मार्च 2017 में जाट समुदाय ने यशपाल मलिक की अगुवाई में दिल्ली कूच किया और फिर केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह तथा सी.एम.मनोहर लाल ने सरकार व जाटों के बीच समझौता करवाकर दिल्ली कूच रोककर एक और हिंसक अध्याय लिखे जाने पर रोक लगाने का काम किया था। केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह आज तक यह मानते हैं कि अपने राजनीतिक जीवन में उन्हें सबसे ज्यादा संतोष मार्च 2017 के जाट आंदोलन का शांतिपूर्ण तरीके से समापन करवाने से मिला है तब शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन समाप्त नहीं होता तो फरवरी 2016 से भी बुरे हालात प्रदेश में हो सकते थे। 

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