जाट आरक्षण मामला: HC के फैसले पर 9 मार्च को अगली सुनवाई, अर्जीकर्ता पक्ष पेश करेगा दलीलें

2/17/2018 1:44:01 PM

चंडीगढ़(धरणी): जाटों समेत 6 जातियों को खट्टर सरकार द्वारा आरक्षण देने के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं में हाईकोर्ट द्वारा बीते वर्ष सुनाए गए फैसले पर पुनर्विचार की मांग को लेकर दायर 2 अर्जियों पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। इनमें से एक याचिका यादव कल्याण सभा (रेवाड़ी) तथा दूसरी मुरारी लाल गुप्ता द्वारा दायर की गई है। मामले में अगली सुनवाई 9 मार्च को होगी। अर्जीकर्ता पक्ष अब हाईकोर्ट के फैसले को लेकर अपनी दलीलें पेश करेगा। इससे पहले हाईकोर्ट ने जाट आरक्षण के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई के दौरान अपने 1 सितम्बर, 2017 के फैसले में सरकार के 2016 के एक्ट को बरकरार रखा था। वहीं इसके अलावा हरियाणा सरकार व बैकवर्ड कमीशन को कुछ निर्देश भी जारी किए थे। गौरतलब है कि 12 मई, 2016 को हरियाणा सरकार का संबंधित एक्ट प्रभाव में आया था।


यह तथ्य किए हैं यादव कल्याण सभा व मुरारी लाल गुप्ता ने पेश
यादव कल्याण सभा ने मांग की है कि हरियाणा बैकवर्ड क्लासिज (रिजर्वेशन इन सर्विसेज एंड एडमिशन इन एजुकेशनल इंस्टीच्यूशंस) एक्ट, 2016 में शेड्यूल 3 (बैकवर्ड क्लासिज शेड्यूल सी) को विस्तार देने को वैध करार देने पर पुनर्विचार किया जाए। कहा गया कि एक्ट वैध है या नहीं, इसे लेकर हाईकोर्ट ने इंदिरा साहनी व अन्य बनाम केंद्र सरकार तथा एम. नागराज बनाम केंद्र सरकार केस का संदर्भ लिया, मगर उन दोनों केसों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए अधिदेश पर विचार करना भूल गई। एम. नागराज केस में सुप्रीम कोर्ट ने पाया था कि राज्यों को संबंधित जाति के पिछड़ापन दर्शाने वाले मात्रात्मक आंकड़ों की पहचान और उन्हें एकत्रित करने की आवश्यक्ता है। वहीं सार्वजनिक रोजगार में उस वर्ग या जाति के प्रतिनिधि की अपर्याप्तता जांचनी आवश्यक है। 

यदि संबंधित राज्य आंकड़े जुटाने की प्रक्रिया में नाकाम रहती है तो रिजर्वेशन का प्रावधान अवैध हो जाएगा। कहा गया है कि हरियाणा सरकार द्वारा 6 जातियों को पिछड़ा घोषित करते हुए संबधित एक्ट के शेड्यूल 3 में शामिल करने को लेकर पिछड़ेपन की पहचान के लिए यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। ऐसे में एम. नागराज केस के मुताबिक हरियाणा सरकार के एक्ट में शेड्यूल 3 अवैध है। वहीं एम. नागराज केस के तहत अनुपात की भी पालना नहीं की। दूसरी ओर मुरारी लाल गुप्ता ने अपनी अर्जी में भी हाईकोर्ट फैसले पर पुनर्विचार की मांग करते हुए हरियाणा बैकवर्ड क्लासिज एक्ट, 2016 के शेडयूल 3 की वैधानिकता व वैद्यता को चुनौती दी है जिसमें जाट, जट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी, मुल्ला जाट, मुस्लिम जाट को आरक्षण देते हुए इन्हें बैकवर्ड क्लासिज ब्लॉक-सी घोषित किया गया था।
 

यह एक्ट केवल इन जातियों को लाभ पहुंचाने के मकसद से बनाए जाने की बात कही गई है। शेडयूल-3 जस्टिस(रि.) के.सी. गुप्ता कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर बनाया गया था। जबकि कमीशन की रिपोर्ट में दिए निष्कर्षों को सुप्रीम कोर्ट ने राम सिंह व अन्य बनाम केंद्र सरकार के केस में खारिज कर दिया था। इस तथ्य को विधानमंडल में नहीं बताया गया व छिपाया गया और बिल में भी यह नहीं बताया गया। जारी बिल में (अति विशेष) कारणों की जानकारी नहीं दी गई कि क्यों आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाया गया जबकि सरकार के पास इसे बढ़ाने की कोई सामग्री मौजूद नहीं थी।