जाट आरक्षण आंदोलन-2016: आखिर हिंसा-आगजनी की जिम्मेदारी किसकी?

11/21/2019 10:48:02 AM

 डेस्कः प्रदेश में पुन: खट्टर नीत भाजपा की सरकार बनी है। हालांकि भाजपा को प्रदेश में पूर्ण बहुमत न मिलने के कारण जननायक जनता पार्टी (जजपा) के साथ गठबंधन सरकार का गठन हुआ है। चुनावों से पूर्व 75 पार का नारा देने वाली भाजपा 40 सीटों पर सिमट कर रह गई और जजपा की 10 सीटों के साथ प्रदेश की सत्ता पर ...हो गई है। गौरतलब है कि जजपा के दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री बनकर गौरवान्वित हो रहे हैं। 

सरकार बनने के बाद पहले विधानसभा सत्र के तीसरे दिन सरकार के समक्ष जाट आंदोलन के समय आंदोलनकारियों को छोडऩे के मुद्दे ने पूरा माहौल गर्मा दिया। हालांकि यह मुद्दा इनैलो विधायक अभय चौटाला और कांग्रेस विधायक डा. रघुबीर कादियान ने उठाया था। दोनों विधायकों का कहना था कि निर्दोष युवकों पर दर्ज मामले रद्द किए जाएं।

दावा आयोग नहीं निपटा पाया एक भी मामला
यूं तो प्रदेश सरकार ने आगजनी के मामलों में मुआवजे के दावों के निपटान हेतु दावा आयोग का गठन किया है परंतु लगभग 400 मामलों में से अभी तक एक भी मामला नहीं निपट पाया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 
प्रदेश सरकार ने केवल गोहाना क्षेत्र में ही 5 करोड़ की मुआवजा राशि प्रदान की थी। गौरतलब है कि अगर नुक्सान के एवज में इतनी मुआवजा राशि पीड़ितों को मिली तो उस नुक्सान का जिम्मेदार कौन है? 

पीड़ितों को है सरकार से दरकार
जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान पुलिस की गोली से मारे गए व्यक्तियों के परिवार वालों को सरकारी नौकरी प्रदेश सरकार द्वारा दी गई। उसी प्रकार दंगा पीड़ित भी प्रदेश सरकार से पिछले 5 सालों से उनके पारिवारिक सदस्यों के लिए सरकारी नौकरी की दरकार करते और सभी लंबित मामलों का निपटारा जल्दी कराने की गुजारिश करते हैं। जाट आरक्षण की मांग के बीच हुई भीषण ङ्क्षहसा और लूटपाट की घटनाएं ङ्क्षचताजनक थीं। कुछ इस आंदोलन के समर्थन में थे तो कुछ विरोध में तो वहीं एक तीसरा पक्ष भी था जो असमंजस में था। ऐसा ही होता है जब हमें देश से ज्यादा अपने वोट बैंक की ङ्क्षचता होती है।

कृपया इस आंदोलन के अब तक के दुष्परिणामों पर एक नजर डाल लीजिए-
5 से 7 रेलवे स्टेशन बर्बाद। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आंदोलन की ङ्क्षहसा में 5-7 स्टेशनों को नुक्सान हुआ, जिसमें लगभग 200 करोड़ रुपए का वित्तीय नुक्सान था।
उस दौरान लगभग 800 ट्रेनें रद्द हुई थीं। आप इससे रेलवे को होने वाली राजस्व हानि की कल्पना कर सकते हैं। साथ ही जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ था। लाखों लोग जहां के तहां फंसकर रह
गए थे।

कई बस स्टैंड और सरकारी दफ्तर आग के हवाले
कई सड़कें खोद डाली गई थीं और उन पर जाम लगा दिया गया, यहां तक कि सेना को भी हैलीकॉप्टर से प्रवेश करना पड़ा। पूरे देश से राज्य का संपर्क टूट गया था।
लगभग 1,000 से अधिक वाहनों और 500 से अधिक दुकानों को जलाए जाने की खबरें आई थीं।
जम्मू की 20 ट्रेनें रद्द होने से वैष्णो 
देवी के 30 हजार से अधिक यात्री फंस गए थे।



दर्ज मामलों पर मुख्यमंत्री की सफाई
विधानसभा में मामला गर्म होते देख मुख्यमंत्री खट्टर ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि उक्त मामला माननीय पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में विचाराधीन है। कुछ मामलों की जांच सी.बी.आई. कर रही है तो बाकी केस हाईकोर्ट द्वारा गठित एस.आई.टी. द्वारा देखे जा रहे हैं। कैप्टन अभिमन्यु के निवास पर आग लगाने की घटना की जांच सी.बी.आई. कर रही है परंतु प्रदेश में बाकी जगह होने वाली ङ्क्षहसा और नुक्सान के मामलों की जांच प्रदेश पुलिस को ही सौंपी गई। यूं तो माननीय हाईकोर्ट ने अपनी विशेष जांच टीम गठित की है परंतु इतना समय बीत जाने के बावजूद अभी तक इनकी जांच पूरी नहीं हो पाई। दंगा प्रभावित आज भी न्याय की आस में प्रदेश सरकार की ओर नजरें गढ़ाए बैठे हैं। 

अदालत में अब तक की कार्रवाई
वर्ष 2016 से लेकर अब तक यह मामला माननीय पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में लंबित है। वर्ष 2018 में हाईकोर्ट ने हरियाणा पुलिस जाट नेता यशपाल मलिक की कॉल डिटेल मांगी थी जोकि पुलिस उपलब्ध नहीं करवा सकी और तर्क दिया गया कि दंगे दौरान रिकॉर्ड कॉल डिटेल डिलीट हो गई है। इसी तरह सैशन कोर्ट गोहाना के एक मामले में जज ने प्रदेश पुलिस पर विशेष टिप्पणी कर कहा था कि पुलिस ने अपना काम वैज्ञानिक ढंग से नहीं किया। अभी भी मामला कोर्ट में लंबित है। 

Isha