रेल फ्रंट कॉरिडोर के रास्ते में आ रही मजार पर विरोध के बीच चली प्रशासन की जे.सी.बी.

12/17/2019 9:27:58 AM

अम्बाला शहर (कोचर/पंकज) : शहर के सैक्टर-9 में रेलवे लाइनों के पास स्थित पीर की मजार पर विरोध के बीच आखिरकार सोमवार को रेल प्रशासन की जे.सी.बी. चल गई। करीब दो से अढ़ाई घंटे तक चली कार्रवाई के दौरान मौके पर भारी संख्या में स्थानीय पुलिस के अलावा जी.आर.पी. और आर.पी.एफ. के भी जवान मौजूद रहे। मजार को तोडऩे के बाद रेल प्रशासन ने यहां अपना कब्जा ले लिया। इस कार्रवाई के दौरान आमजन भी मौजूद रहे, जिन्होंने इसका जमकर विरोध किया, लेकिन पुलिस बल की मौजूदगी में किसी प्रकार का कोई हंगामा नहीं हो सका।

इस जमीन पर रेलवे द्वारा रेल फ्रंट कॉरिडोर की लाइन आसानी से गुजर सकेगी। दरअसल, रेलवे द्वारा लुधियाना से कोलकाता तक एक रेल फ्रंट कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इस रेल लाइन पर केवल मालगाडिय़ां ही दौड़ सकेंगी। इस कॉरिडोर के रास्ते में जो भी अवैध निर्माण आ रहा है रेलवे द्वारा उसे हटवाया जा रहा है। इससे पूर्व रेलवे द्वारा छावनी में नन्हेड़ा के पास करीब 100 एकड़ जमीन पर रेलवे ने काफी अवैध कब्जे हटाकर यहां अपना कब्जा लिया था। इसी कड़ी में अब इंको चौक से सैक्टर-9 की तरफ जाने वाली सड़क पर रेलवे अंडर ब्रिज के पास भी करीब 50 साल से अधिक पुरानी पीर की मजार थी।

ऐसे में सड़क के बीचोबीच और रेल लाइनों से बिल्कुल सटी होने के कारण यहां कॉरिडोर की रेल लाइन बिछाने का काम लंबे समय से बंद पड़ा था। रेल प्रशासन की ओर से इसे हटाने के लिए दो-तीन बार नोटिस भी दिया गया लेकिन इसके बावजूद इसे हटाना जरूरी नहीं समझा गया। ऐसे में अब मामला स्थानीय प्रशासन के संज्ञान में डालने के बाद यहां पर कार्रवाई के लिए सोमवार का दिन फाइनल कर दिया गया था। इसी कारण सोमवार सुबह रेलवे अधिकारी काफी संख्या में पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए थे।

उन्होंने जब यहां कार्रवाई शुरू की तो आसपास के स्थानीय लोगों ने कार्रवाई का थोड़ा बहुत विरोध किया, लेकिन अधिकारियों के समझाने उपरांत कोई हंगामा नहीं हुआ और जे.सी.बी. की मदद से मजार को ढहा दिया गया। ऐसे में अब रेलवे द्वारा यहां पर कब्जा हटने के बाद कॉरिडोर के लिए बंद पड़े रेल लाइन के काम को फिर से शुरू कर दिया जाएगा क्योंकि वर्ष 2021 तक निर्माण कंपनियों द्वारा इस कॉरिडोर को पूरा किए जाने का लक्ष्य है। वहीं इस पीर की मजार पर हर वीरवार को काफी संख्या में लोग माथा टेकने के लिए पहुंचते थे। 

Isha