‘मुख्यमंत्री की कुर्सी’ के मुद्दे पर लड़ी जा रही है जींद की जंग

1/21/2019 10:35:17 AM


जींद (संजय अरोड़ा): जींद का उपचुनाव इस बार विधायक, मंत्री बनने का नहीं इलाके की चौधर का मिजाज लिए हुए है। तमाम सियासी दलों के लिए जींद का उपुचनाव विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा इम्तिहान माना जा रहा है और यह उपचुनाव पूरी तरह से मुख्यमंत्री की कुर्सी की लड़ाई के मुद्दे पर ही लड़ा जा रहा दिख रहा है। गौरतलब है कि हरियाणा में इस वर्ष विधानसभा चुनाव से पहले होने जा रहा जींद का उपचुनाव सत्ता का सैमीफाइनल तो है ही, साथ ही इलाके की चौधर का मसला एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना हुआ है। जींद में अतीत में हुए चुनाव बेशक विधायक बनने एवं उसके बाद मंत्री बनने तक के दावों में लिपटे रहे हैं, पर इस बार के उपचुनाव में जींद की चौधर लाने का नारा देकर प्रत्येक सियासी दल इसे मुख्यमंत्री की लड़ाई बता रहा है।

उपचुनाव नजदीक आने के साथ तेज हो रही है चौधर की जंग 

दरअसल जींद में चौधर की जंग उपचुनाव के नजदीक आने के साथ-साथ तेज होती जा रही है। कांग्रेस ने यहां पर अप्रत्याशित रूप से रणदीप सिंह सुर्जेवाला जैसे बड़े चेहरे को चुनावी मैदान में उतारा है। सुर्जेवाला के समर्थक यही चर्चा कर रहे हैं कि कांग्रेस में इस उपचुनाव की जीत के बाद सुर्जेवाला मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदार होंगे। सुर्जेवाला स्वयं भी जींद की चौधर लाने की बात को प्रमुखता से उठा रहे हैं। वहीं अभी हाल ही में गठित जननायक जनता पार्टी का यह पहला चुनाव है। ऐसे में यहां से पार्टी ने दिग्विजय चौटाला पर दाव खेला है। 

जींद की इसी धरती से दिग्विजय के परदादा देवीलाल व दादा ओमप्रकाश चौटाला ने अपनी सियासी लड़ाइयां लड़ीं। जजपा उम्मीदवार दिग्विजय भी इस उपचुनाव में जीत के बाद आने वाले विधानसभा चुनाव में जजपा की सरकार बनने व दुष्यंत के मुख्यमंत्री बनने का मुद्दा उठा रहे हैं। वहीं पार्टी में विभाजन के बाद विधानसभा चुनाव लड़ रही इनैलो-बसपा गठबंधन की प्रतिष्ठा भी दाव पर है। इनैलो-बसपा गठबंधन की ओर से यह प्रचार किया जा रहा है कि जींद का उपचुनाव जीतने के बाद इनैलो-बसपा गठबंधन का सत्ता की राह का मार्ग प्रशस्त होगा और इसके बाद या तो ओमप्रकाश चौटाला या फिर अभय चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री बनेंगे। 

वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में पहली बार अपने बलबूते पर सरकार बनाने में कामयाब रही भाजपा के लिए यह चुनाव एक बड़ी परीक्षा है। अपने प्रचार में भाजपा उम्मीदवार कृष्ण मिड्ढा भी मनोहर लाल को फिर से मुख्यमंत्री बनाने का मुद्दा उछालते हुए जींद को सत्ता में भागीदार बनाने की बात उठा रहे हैं। लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से विनोद आसरी मैदान में हैं। लोसुपा की ओर से भी राजकुमार सैनी को मुख्यमंत्री बनाने का हवाला देते हुए जींद में सत्ता की राह सुगम होने का मुद्दा उठाया जा रहा है। खैर इस बार जींद में विकास के साथ कुछ स्थानीय मुद्दे जरूर चुनावी मुद्दे हैं, पर अब तक का आकलन यही है कि तमाम दलों की ओर से इलाके की चौधर लाने का मुद्दा मुख्य बना हुआ है।

Deepak Paul