‘आप’ को हरियाणा में बराबर सीटों से कम पर समझौता मंजूर नहीं

3/5/2019 10:52:31 AM

फरीदाबाद (महावीर): जननायक जनता पार्टी व आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर हरियाणा में चल रही रार थमती नजर आ रही है। आम आदमी पार्टी बराबर सीटों से कम पर समझौते को तैयार नहीं है। जाट, गैर-जाट मतदाता के लिए अनुकूल माने जा रहे इस गठबंधन से जजपा भी इन्कार नहीं कर रही है। 

ऐसे में संभव है कि दोनों पाॢटयों के बीच बराबर सीटों पर सहमति बन जाए। आम आदमी पार्टी के दिल्ली से जुड़े सूत्र भी इस पर अप्रत्यक्ष रूप से सहमति जता रहे हैं। आम आदमी पार्टी के नेता हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से 5 लोकसभा व विधानसभा की 90 सीटों में से 45 सीटों पर चुनाव लडऩा चाहते हैं। इसके पीछे ‘आप’ नेताओं के अपने तर्क हैं जबकि जजपा नेता कह रहे हैं कि हरियाणा में उनकी पार्टी व आम आदमी पार्टी के राजनीतिक वर्चस्व में काफी अंतर है। इसलिए यह समझौता 70 और 30 के अनुपात में होना चाहिए। 

इस गठबंधन के लिए ‘आप’ ने 3 सदस्यीय कमेटी को अधिकृत किया है।  इस मामले में आम आदमी पार्टी की तरफ से जजपा नेताओं से चुनावी समझौते की बातचीत प्रदेश प्रभारी व दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय, प्रदेश संयोजक नवीन जयङ्क्षहद और राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता अधिकृत तौर पर कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो नवीन जयङ्क्षहद के पास पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की तरफ से स्पष्ट आदेश है कि आधी सीटों पर यदि समझौता होता है तो बातचीत आगे बढ़ाओ अन्यथा अकेले अपने दम पर चुनाव लडऩे की तैयारी कर लें। 

फीडबैक को लेकर लिया निर्णय
दरअसल, अरविंद केजरीवाल द्वारा गठबंधन को लेकर यह आदेश पार्टी के कार्यकत्र्ताओं से मिले फीडबैक के आधार पर लिया है। सूत्रों के अनुसार फीडबैक के दौरान पार्टी कार्यकत्र्ताओं ने कहा कि हरियाणा में जजपा जाट मतदाताओं का ही नेतृत्व करती है। ऐसे में जजपा जाट मतदाताओं के दम पर 4 से 10 सीटों पर सिमट जाएगी परंतु यदि ‘आप’ और जजपा का गठबंधन होता है तो फिर गैर-जाट मतदाता जजपा के साफ छवि के नेता दुष्यंत चौटाला को वोट दे सकते हैं। 

आम आदमी पार्टी को पसंद करने वाले मतदाता भी जजपा को तभी वोट देंगे जब उन्हें लगेगा कि उनकी सरकार बनने पर बराबर की हैसियत रहेगी। पार्टी कार्यकत्र्ताओं की यह बात दिल्ली के मुख्यमंत्री और ‘आप’ सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के घर कर गई है क्योंकि उन्हें पता है कि राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद गैर-जाट मतदाता एक बार फिर जाट मुख्यमंत्री नहीं देखना चाहता। दुष्यंत चौटाला भी तभी गैर-जाटों में आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं जब वे शहरी व गैर-जाट मतदाताओं को लुभाने वाली पार्टी के साथ चुनावी मैदान में आते हैं। 

Shivam