जेजेपी के 10 में से 7 विधायक नाराज, संतुष्ट करने में दुष्यंत चौटाला हो रहे नाकाम

3/20/2020 5:41:59 PM

चंडीगढ़ (धरणी): जेजेपी ने कम समय में विधानसभा की दस सीटें हासिल कर सत्ता में भागीदारी प्राप्त कर ली है, लेकिन पार्टी के अंदर कुछ ठीक नहीं चल रहा है। राज्यसभा के चुनाव निर्विरोध हो गए वरना जेजेपी के अंदरूनी हालातों व विधायकों की नाराजगी सार्वजनिक हो जाती। अब भी काफी कुछ सार्वजनिक है, मगर फिर भी पर्दे में है। 

स्थापना के 1 साल के अंदर ही सत्ता की हिस्सेदार बनने वाली जननायक जनता पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी के 10 में से 7 विधायक अलग-अलग कारणों से नाराज और असंतुष्ट चल रहे हैं। विधायकों की नाराजगी के मुख्य कारणों में सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिलना, वर्करों के काम न होना, अफसरशाही के पास सुनवाई ना होना, डिप्टी सीएम दुष्यंत द्वारा जेजेपी विधायकों की सुनवाई न करने की बातें प्रमुख रूप से चर्चित हैं। 

दुष्यंत चौटाला विधायकों को संतुष्ट करने में अभी तक नाकाम साबित रहे हैं। अलग-अलग विधायकों की नाराजगी का ग्राफ इस प्रकार है-

राम कुमार गौतम शत प्रतिशत नाराज
नारनौंद के विधायक राम कुमार गौतम का उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से सबसे पहले मोहभंग हुआ। गौतम का यह मानना है कि उनके बलबूते पर ही जेजेपी के पक्ष में माहौल बना था लेकिन सत्ता में हिस्सेदारी मिलने के बाद दुष्यंत चौटाला पूरी तरह पलटी मार गए और सरकार के सारे "मजे' खुद ले रहे हैं। राम कुमार गौतम ने दुष्यंत चौटाला पर काफी गंभीर आरोप भी लगाए। पार्टी विरोधी बयानबाजी के चलते जेजेपी ने गौतम को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया, जिसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला गौतम के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने में हिचक रहे हैं।

देवेंद्र बबली 80 फीसदी नाराज 
टोहाना के विधायक देवेंद्र बबली प्रदेश में सबसे अधिक वोटों से जीत हासिल करके विधानसभा पहुंचे हैं। अजय चौटाला के जन्म दिन पर इसराना रैली में न जाकर खुला विरोध जाहिर कर चुके हैं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को धूल चटाने वाले देवेंद्र बबली को मंत्रिमंडल में शामिल होने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन 5 महीने बाद भी उनकी आस पूरी नहीं हुई है।

जोगीराम सिहाग 70 फीसदी नाराज
बरवाला के विधायक जोगीराम सिहाग की पटरी दुष्यंत के साथ नहीं बैठ पा रही है। उनकी बजाय जोगीराम सिहाग बिजली मंत्री रणजीत सिंह के साथ ज्यादा नजर आते हैं। जोगीराम सिहाग बीजेपी नेताओं के साथ खुद को ज्यादा सहज महसूस करते हैं। जोगीराम सिहाग के समर्थकों का कहना है कि उनके विधायक को अफसरशाही ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है और उनके बताए कामों पर तेजी से कार्रवाई नहीं होती है।

रामनिवास सुरजाखेड़ा 60 फीसदी नाराज
नरवाना के विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा अभी तक जेजेपी के रंग में नहीं रंग पाए हैं। जेजेपी के नेताओं और वर्करों के साथ उनकी ट्यूनिंग 6 महीने बाद भी नहीं बैठ पाई है। रामनिवास सुरजाखेड़ा उप मुख्यमंत्री कार्यालय और जेजेपी की मीटिंग में बेहद कम भागीदारी करते हैं। रामनिवास के समर्थकों का कहना है कि उनके विधायक के बताए कामों को सिरे नहीं चढ़ाया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारी भी उनके बताएं कामों को करने में रुचि नहीं दिखाते हैं और उन्हें अनदेखा किया जा रहा है।

ईश्वर सिंह 50 फीसदी नाराज 
गुहला चीका के विधायक ईश्वर सिंह सरकार में हिस्सेदारी को अपने लिए मनमाफिक नहीं मान रहे हैं। सबसे वरिष्ठ विधायक होने के नाते उन्हें उम्मीद थी कि सरकार में उन्हें हिस्सेदारी दी जाएगी लेकिन उनका यह अरमान अभी तक पूरा नहीं हुआ है। ईश्वर सिंह अगले मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार कर रहे हैं। अगर उसमें उन्हें हिस्सेदारी नहीं दी गई तो वह भी रामकुमार गौतम के रास्ते पर चल सकते हैं।

रामकरण काला 40 फीसदी नाराज
शाहबाद के विधायक रामकरण काला सबसे शरीफ विधायकों में गिने जाते हैं। वे अपने काम कराने के लिए हाथ जोड़कर खड़े रहते हैं। वह अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर नहीं करते हैं लेकिन काम कराने वाले वर्करों के आगे वह काम नहीं होने की मजबूरी हाथ जोड़कर जाहिर कर देते हैं। रामकरण काला के समर्थकों का कहना है कि शाहबाद में उनकी बजाए कृष्ण बेदी की पावर ज्यादा चलती है और अफसरशाही उनकी ही बातों को ज्यादा मानती है।

अमरजीत ढांडा 30 फीसदी नाराज
जुलाना के विधायक अमरजीत ढांडा दुष्यंत चौटाला के नजदीकी विधायकों में गिने जाते हैं। विधायक बनने के बाद वे जुलाना में विकास रैली का आयोजन भी करवा चुके हैं ढांडा के समर्थकों का कहना है कि सरकार में हिस्सेदारी होने के बावजूद उनके विधायक को छोटे-छोटे काम कराने के लिए भी कई कई बार दुष्यंत चौटाला के दफ्तर और कोठी के चक्कर काटने पड़ते हैं। अफसरशाही उनके बताए कामों को लटकाने का काम ज्यादा करती है।

अनूप धानक 10 फीसदी नाराज
सरकार में मंत्री बनाए गए उकलाना के विधायक अनूप धानक भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। इस बारे में जब अनूप धानक के समर्थकों को कुरेदा गया तो उन्होंने बताया कि अनूप धानक के पास मंत्री होने के बावजूद पूरी पावर नहीं है। अनूप धानक एक सफल और सक्षम मंत्री के रूप में खुद को साबित करना चाहते हैं लेकिन उनके विभागों में उन्हें काम करने की आजादी नहीं है जिसके चलते उन्हें घुटन महसूस हो रही है। इसलिए मंत्री बनने के बावजूद अनूप धानक 20 फ़ीसदी असंतुष्ट चल रहे हैं।

Shivam