भाजपा के ताले से कभी भी अलग हो सकती है जजपा की चाबी!

6/8/2023 12:04:49 PM

फरीदाबाद (महावीर गोयल) : जजपा नेताओं की टीका टिप्पणी के बाद भाजपा प्रभारी विप्लव देव के तल्ख बयानों के बाद माना जा रहा है कि भाजपा के ताले से कभी भी जजपा की चाबी अलग हो सकती है। पिछले कई महीनों से अप्रत्यक्ष रूप से हो रही टीका-टिप्पणी पर भाजपा प्रभारी ने अपने बयान की सख्ती के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि भाजपा गठबंधन में तो है लेकिन दबाव में बिल्कुल नहीं है।

दरअसल भाजपा-जजपा के बिना सहारे के भी सरकार चला सकती है। हालांकि भाजपा के प्रदेश प्रभारी विप्लव देव द्वारा फरीदाबाद में दिए गए सख्त बयानों के बाद जजपा नेता दुष्यंत चौटाला ने कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन गठबंधन को लेकर दोनों ही दलों में बेचैनी चरम पर है। इतना ही नहीं दोनों ही दलों के नेता अपने शीर्ष नेताओं पर गठबंधन से अलग होने का दबाव बनाने लगे हैं। 2019 के विधानसभा चुनावों में जजपा ने जमकर भाजपा के लिए जहर उगला था। जजपा को जो 10 सीटें मिली थीं वह भाजपा के खिलाफ जनमत प्राप्त हुआ था लेकिन चुनाव परिणामों के बाद जजपा-भाजपा की गोद में जा बैठी। इसका नुक्सान जजपा को भी उठाना पड़ा।

जजपा का कार्यकर्ता पार्टी से नाराज होने लगा लेकिन गठबंधन बदस्तूर जारी रहा। शुरुआत दौर में दुष्यंत को लेकर कार्यकर्ताओं द्वारा आया आया सीएम आया, के नारे भी आम लगने लगे थे इसे लेकर भी भाजपा सहज नहीं थी। पिछले कुछ महीनों से जजपा की तरफ से सार्वजनिक मंचों पर अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा सरकार पर टीका-टिप्पणी हो रही थी जिसका जवाब बुधवार को प्रदेश भाजपा प्रभारी विप्लव देव ने बड़ी सख्ती से दिया। जिस कदर बयान के दौरान विप्लव देव नजर आए उससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि भाजपा प्रभारी ने अपने सहयोगी दल को चेतावनी देने का प्रयास किया है। कहीं न कहीं भाजपा प्रभारी की इस सख्ती का मतलब जजपा नेता भी समझ रहे हैं। दोनों ही दलों को चुनाव से पूर्व गठबंधन से अलग होना है। बस केवल तारीख निश्चित होनी बाकी है क्योंकि जजपा और भाजपा समय से पूर्व अलग होकर ही एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में जा पाएंगे। प्रदेश की राजनीति को अब इंतजार इस बात का है कि भाजपा के ताले से जजपा अपनी चाबी स्वयं निकालती है या फिर भाजपा इस चाबी को निकाल फेंकेगी।

 

निर्दलीय बनेंगे भाजपा की चाबी

भारतीय जनता पार्टी बिना जजपा के सहयोग के भी सरकार चला सकती है क्योंकि भाजपा के पास निर्दलियों का भी समर्थन है। भाजपा के ताले से जजपा की चाबी अलग होने के बाद निर्दलीय भाजपा की ताले की चाबी बन सकते हैं क्योंकि निर्दलीय विधायकों ने भाजपा को पहले से ही समर्थन दे रखा है। विधानसभा में भाजपा के पास 41 सीटें हैं। निर्दलीय रणजीत चौटाला कैबिनेट मंत्री हैं। ऐसे में 42 सीटें सीधे तौर पर भाजपा के साथ हैं। इसके अलावा इनेलो के अभय चौटाला व बागी हुए निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू को यदि छोड़ भी दें तो भाजपा के पास 6 अन्य विधायक और हैं जिनका समर्थन भाजपा को प्राप्त है। इनमें पृथला विधानसभा क्षेत्र से नयनपाल रावत, पंढरी से रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर, बादशापुर से राकेश दौलताबाद, दादरी से सोमवीर सांगवान व सिरसा से गोपाल कांडा शामिल हैं। ऐसे में भाजपा की विधानसभा में संख्या 48 हो जाती है जोकि बहुमत से 2 अधिक हैं। ऐसे में भाजपा को सरकार चलाने के लिए जजपा की कोई बहुत अधिक आवश्यकता नहीं है। माना जा रहा है कि भाजपा की तरफ से प्रदेश भाजपा प्रभारी के तल्ख हुए तेवर गठबंधन के सहयोगी दल को सीधे तौर पर चेतावनी है।

 

सामान्य नहीं है भाजपा की तल्खी

भाजपा के प्रदेश प्रभारी बिप्लव देव द्वारा जजपा नेताओं के खिलाफ दिए गए तल्ख बयान सामान्य नहीं हैं। आमतौर पर अत्याधिक गंभीर रहने वाले राजनीति के सुलझे हुए खिलाड़ी माने जाने वाले विप्लवदेव द्वारा दिया गया बयान बिना सोचा-समझा नहीं हो सकता। आमतौर पर भाजपा के प्रदेश के बड़े नेता जब भी बिप्लव देव से मिलने जाते हैं तो वह ऐसे निपुण राजनीतिकार के रूप में सलाह और सुझाव देते हैं कि भाजपा नेता भी आश्चर्यचकित हो जाते हैं। आमतौर पर हर बात के जवाब को टाल जाने वाले बिप्लव देव ने जिस कदर फरीदाबाद में जजपा के खिलाफ खुलकर बल्लेबाजी की है, वह भाजपा की रणनीति को ध्यान में रखते हुए मानी जा रही है। हालांकि सीधे तौर पर भाजपा नेता इसे क्रिया की प्रतिक्रिया बता रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह नहीं है। उधर, दुष्यंत चौटाला भी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी बन चुके हैं। शायद इसलिए वे भांप गए हैं कि अब भाजपा बहुत अधिक कुछ सहने वाली नहीं है।

Content Writer

Manisha rana