जुलाना के किसान बथुए की खेती से कमा रहे लाखों का मुनाफा, मिनटों में बिक रहा हरा सोना

punjabkesari.in Friday, Nov 07, 2025 - 01:24 PM (IST)

जुलाना (विजेंद्र सिंह) : जुलाना के कमाच खेड़ा गांव के किसानों ने मिसाल पेश की है। यहां के कई किसानों ने पारंपरिक फसलों के साथ अब बथुए की खेती शुरू की है, जिससे वे लाखों रुपये की आमदनी कमा रहे हैं। किसान आए साल लगभग 400 एकड़ में बथुए की खेती करते हैं।

दिल्ली, गाजियाबाद आदि मंडियों में जाता है बथुआ

किसानों का कहना है कि पहले वे गेहूं और धान जैसी पारंपरिक फसलों की खेती करते थे, जिसमें मेहनत अधिक और मुनाफा कम होता था। लेकिन जब उन्होंने बथुए की खेती का प्रयोग किया, तो यह बेहद सफल साबित हुई। बथुए की बाजार में लगातार मांग रहती है। कमाचा खेड़ा गांव से रोजाना 30 किवंटल बथुआ दिल्ली, गाजियाबाद पानीपत, सोनीपत, रोहतक आदि मंडियों में जाता है जहां पर इसकी अच्छी कीमत मिल रही है। किसान प्रदीप, सुनील और राकेश का कहना है कि बथुए की फसल कम लागत में तैयार हो जाती है और एक एकड़ में करीब डेढ़ से 2 लाख रूपयये तक का मुनाफा हो जाता है। 

उन्होंने बताया कि खेत में सही सिंचाई और समय पर कटाई से बथुआ तीन बार तोड़ा जा सकता है, जिससे उत्पादन भी ज्यादा मिलता है। एक एकड़ में 10 हजार रूपये का बीज लगता है। खास बात यह है कि इस खेती में कोई भी दवा या कीटनाशक नही लगता। केवल पानी से ही इसकी पैदावार बढ़ जाती है। बीज गांव में ही मिल जाता है। एक एकड़ जमीन में एक किवंटल बीज प्रयोग किया जाता है। कई बार तो किसान धान की फसल की कटाई से पहले ही बथुए के बीज को बो देते हैं और धान की कटाई के बाद बथुआ पैदा हो जाता है। 

मिनटों में बिक जाता है बथुआ

किसानों को एक साल में तीन फसलें मिल जाती हैं। धान के बाद बथुए की खेती के बाद गेहूं की खेती से गेहूं की पैदावार भी अच्छी होती है। आलम यह है कि कमाच खेड़ा गांव के किसानों से प्रेरणा लेकर आस पास के देवरड़, मालवी, फरमाना और बेडवा गांव के किसान भी बथुए की खेती करने लगे हैं और मोटी आमदनी कर रहे हैं। बथुए को खेतों से काटने के लिए मजदूरों को भी गांव में काम मिल जाता है। किसानों ने बताया कि दिल्ली की आजादपुर सब्जीमंडी में उनका बथुआ 100 से 120 रूपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से मिनटों में बिक जाता है।

ग्रामीण महिला मजदूरों का कहना है कि उन्हें काम की तलाश में बड़े शहरों में नहीं जाना पड़ता। गांव में ही उन्हें मजदूरी अच्छी मिल रही है और इस काम से उन्हें बहुत खुशी मिल रही है। इस काम के साथ-साथ वह अपना घर भी संभाल लेती है और अपना काम भी कर लेती है।  

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Content Writer

Manisha rana

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