जुनैद हत्याकांड: मुख्यारोपी ने कबूला गुनाह, आपा खोने पर की थी हत्या

7/10/2017 11:02:02 AM

फरीदाबाद:22 जून को दिल्ली-मथुरा शटल में जुनैद की हत्या करने की बात महाराष्ट्र से गिरफ्तार 2 लाख के ईनामी मुख्यारोपी नरेश ने पुलिस पूछताछ में कबूली है। पुलिस की तरफ से मजिस्ट्रेट के समक्ष चार पेज का डिसक्लोजर स्टेटमेंट पेश किया गया। जिसमें नरेश ने सारी वारदात के बारे में बताया। नरेश ने बताया कि ‘मैं नेशनल कृषि म्यूजियम, देवप्रकाश शास्त्री मार्ग, पूसा कैंपस नई दिल्ली में गार्ड की नौकरी करता हूं। 22 जून की शाम 5 बजे ड्यूटी से शिवाजी ब्रिज रेलवे स्टेशन पहुंचा। गाजियाबाद-मथुरा शटल थोड़ी लेट थी, जो 6 बजे स्टेशन पहुंची। मैं इंजन के पीछे तीसरे डिब्बे में सवार हो गया। इसमें तीन-चार समुदाय विशेष के लड़के टोपी पहने सीट पर बैठे थे। 

ओखला स्टेशन से एक अधेड़ उम्र का आदमी चढ़ा, जिसने लड़के से सीट देने को कहा। एक लड़का खड़ा था, जो नहीं हटा तो अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने जातिगत कमेंट कसकर दो-दो थप्पड़ चारों को लगा दिए। तो समुदाय विशेष के लड़के अकड़ गए, जिस पर मुझे गुस्सा गया और मैंने अधेड़ उम्र के व्यक्ति और तीन-चार लड़कों ने मिलकर उन चारों को उनके धर्म के प्रति बहुत ज्यादा अपशब्द बोलते हुए बुरी तरह मारा पीटा। इस कारण चारों लड़के तुगलकाबाद रेलवे स्टेशन पर उतरकर किसी दूसरे डिब्बे में चढ़ गए। जब गाड़ी बल्लभगढ़ स्टेशन पर पहुंची तो सात-आठ समुदाय विशेष के लड़के, जिनमें वे चार भी थे आए और हमारे डिब्बे में कौन सा है कहकर ऊंची आवाज में छोड़ेंगे नहीं कहकर धक्का-मुक्की करने लगे और उस अधेड़ व्यक्ति को पहचान कर पीटने लगे। डिब्बे में तीन-चार बहुसंख्यक समुदाय के लड़के थे, उन्होंने अधेड़ को पिटते देखा तो वे समुदाय विशेष के लड़कों से भिड़ गए और उन्हें फिर ट्रेन से उतरने नहीं दिया। 

जब मैं खतरा भांपकर यात्रियों में छिपने लगा तो उनमें एक ने पहचान लिया और कहा कि ये रहा वो, इतने में उन लड़कों ने एक साथ मुझ पर धावा बोल दिया। मुझे पंच और बेल्ट मारा, जिससे मेरे सिर से काफी खून बहने लगा। इससे मुझे गुस्सा गया और मैंने कहा कि मेरे पास मत आओ, चाकू मार दूंगा और आवेश में आकर मैंने अपने बैग से चाकू निकालकर उन लड़कों पर हमला बोल दिया। और उनके धर्म के प्रति अपमानित शब्द कहते हुए वार पर वार करता चला गया। इतने में असावटी स्टेशन गया। मैं रांग साइड उतरा और स्टेशन से बाहर गया। वहां बाइक लेकर खड़े दो लड़कों से लिफ्ट लेकर अपने गांव जटौला पहुंचा। चाकू को जोहड़ के पास छिपा दिया। खून से सने कपड़े अपने गांव भमरौला आकर छत पर रख दिए। चाकू खरीदने वाली जगह की निशानदेही करा सकता हूं। समुदाय विशेष के लड़कों से मारपीट करने वाले अन्य लड़कों को पलवल और होडल से पकड़वा सकता हूं।’

नरेश के भाई सुरेश ने बताया कि वे दोनों दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र में एक निजी सिक्योरटी एजैंसी के माध्यम से गार्ड की नौकरी करते थे। 22 जून को घटना के दिन दोनों दिल्ली के शिवाजी ब्रिज स्टेशन से गाजियाबाद से मथुरा जाने वाली ई.एम.यू. ट्रेन में चढ़े, अधिक भीड़ के कारण दोनों अलग-अलग डिब्बों में चढ़ गए। इसी दौरान नरेश का ट्रेन में एक बुजुर्ग के लिए सीट को लेकर कुछ मुस्लिम युवकों से विवाद हुआ जिसमें नरेश सहित कई लोगों को चोटें आईं। एक युवक ने जब नरेश पर चाकू से वार किया तो अपने बचाव में उससे चाकू छीनकर उस पर वार कर दिए। रात 9 बजे नरेश घर आया तो उसने यह बात बताई और 1 जुलाई को घर से बिना बताए चला गया।

नरेश के पिता इंद्र सिंह ने बताया कि 7 जुलाई को सवा 9 बजे सी.आई.ए. ऊंचा गांव की टीम दिल्ली से उसे व उसके लड़के सुरेश को ले गई। उन्होंने पुलिस को बताया कि 5-6 जून को नरेश ने पूर्व सरपंच सहजराम को फोन कर अपने बारे में जानकारी दी थी जोकि उन्होंने पुलिस को बताई जिसके बाद पुलिस ने नरेश को गिरफ्तार किया। 

नरेश की माता संतरा देवी ने बताया कि उसके बेटे ने जानबूझ कर हत्या नहीं की बल्कि अपनी आत्मरक्षा की थी। एक 55 साल के बुजुर्ग को सीट के विवाद में झगड़ा हुआ बताते हैं। क्या एक बुजुर्ग की मदद करना गुनाह है?