‘अय्याशी’ का अड्डा बन गया था ‘अपना घर’, मासूमों को 6 वर्षों की कानूनी जंग के बाद मिला न्याय

4/28/2018 10:39:44 AM

चंडीगढ़(अविनाश पांडेय): रोहतक के बहुचर्चित अपना घर प्रकरण में 6 साल की कानूनी जंग के बाद आखिरकार पीड़िताओं को न्याय मिल गया। पंचकूला की विशेष सी.बी.आई. कोर्ट ने संचालिका एवं मुख्य आरोपी जसवंती सहित 3 आरोपियों को उम्रकैद जबकि जसवंती के भाई जसवंत को 7 साल की सजा सुनाई है। सी.बी.आई. ने भी अपनी जांच में इन्हीं 3 लोगों को अहम कसूरवार ठहराया था। सी.बी.आई. ने चार्जशीट में कहा था कि जयभगवान के लिए अपना घर अय्याशी का अड्डा बना हुआ था। 

जयभगवान ने दरिंदगी की सभी हदें पार कर दी थी। यहां रहने वाली लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाता था और बाद में उनका गर्भपात करवाया जाता था। इस काम में जसवंती और उसकी बेटी शिम्मी का पूरा सहयोग रहता था। अपना घर से एक नवजात बच्चे को भी हजारों रुपए में बेचा गया, जिसकी पुष्टि भी सी.बी.आई. ने की थी। 7 अगस्त, 2012 को पंचकूला की विशेष सी.बी.आई. अदालत में पेश की गई चार्जशीट में मामले के जांच अधिकारी एवं सी.बी.आई. के एडिशनल एस.पी. सतीश डागर ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा था कि अपना घर में रह रही 4 लड़कियों के साथ कई बार जयभगवान ने बलात्कार किया और आवाज उठाने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी।

सरकारी नौकरी में था जयभगवान और जसवंत सिंह
अारोपियों के खिलाफ मजदूरों की तरह खेतों में काम करवाने, मना करने पर लोहे की रॉड व चिमटे से यातना देने की दास्तान भी सी.आर.पी.सी. की धारा 164 के तहत दर्ज की। इतना ही नहीं, लड़कियों के गर्भवती होने पर उनका गर्भपात करवा दिया जाता था। चार्जशीट में कहा गया था कि सालों से अपना घर में चल रहे इस धंधे में संचालिका जसवंती, बेटी शिम्मी, दामाद जयभगवान, भाई जसवंत सिंह, कार चालक सतीश, शीला व काउंसलर बीना की अहम भूमिका रही है। जयभगवान हर रोज कार चालक सतीश के साथ अपना घर जाता था। जसवंती का भाई जसवंत सिंह भी अपना घर की विजिट करता था। अपना घर की काउंसलर बीना रानी के भी इन कार्यों में सहभागी होना बताया है।

Deepak Paul