Kaithal: छोटे ठेकों के मैन्युअल लाइसेंस जारी करने में हो रहा बड़ा गड़बड़ झाला! अधिकारियों की कार्यशैली पर उठे सवाल

2/10/2024 11:24:10 AM

कैथल (जयपाल रसूलपुर) : जिले के आबकारी एवं कराधान (एक्साइज) विभाग कार्यालय द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में बने छोटे ठेकों के ऑनलाइन लाइसेंस बनाने की बजाये मैन्युअल लाइसेंस जारी गड़बड़ झाला सामने आया है। विभाग के रिकॉर्ड अनुसार जिन ठेकों की फीस तीन लाख रुपए बनती थी। उनसे केवल डेढ़ लाख रूपए भरवाकर उनको शराब बेचने की विभागीय स्वकृति दी गई है। जबकि एक्साइज पॉलिसी के 2023-24 अनुसार छोटे ठेकों को केवल ऑनलाइन लाइसेंस ही जारी किया जाना होता है। 

इतना ही नहीं अधिकारियों ने ठेकेदारों से साठ गांठ कर जिले के दो दर्जन से अधिक ठेकों की बकाया फीस पिछले आठ महीनों से नहीं भरवाई। जबकि नियमानुसार लाइसेंस जारी करने से पहले ही ठेकेदार द्वारा पूरी फीस भरवानी अनिवार्य होती है। तभी उसे लाइसेंस जारी किया जाता है। इसलिए यह प्रतीत होता है कि यह पूरा खेल केवल कमीशन के लिए खेला जाता है। मामले को दबाने के लिए साल पूरा होने के बाद फाइलों को जानबूझकर गूम कर दिया जाता है। इस तरह खुद विभाग के अधिकारियों द्वारा ही अपने विभाग को हर साल लाखों रुपयों की चपत लगाई जा रही है।    



नए इंस्पेक्टर आने के बाद हुआ मामले का खुलासा

इस मामले का खुलासा विभाग में नए इंस्पेक्टर आने के बाद हुआ। जब उसने पिछले इंस्पेक्टर से चार्ज लिया तो पता चला कि उनके कार्यालय द्वारा नियमों को ताक पर रखकर पूरी फीस भरवाए बिना ही जिले के दो दर्जन से अधिक छोटे ठेकों के मैनुअल लाइसेंस जारी किए गए हैं। तभी उसने सभी ठेकों के मालिकों को नोटिस जारी करते हुए विभाग की बकाया फीस भरने के निर्देश दिए। तो आनन फानन में कुछ ठेकों की फर्मों ने पिछले आठ महीनों से बकाया फीस दी। लेकिन अब भी कुछ ठेके ऐसे हैं। जिन्होंने अभी तक भी फीस नहीं भरी है। इस बात से आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि यदि नए इंस्पेक्टर ने अपने ही विभाग की पोल नहीं खोली होती तो सरकार को ऐसे ही लाखों रुपयों का चूना लगता रहता। इसलिए जिम्मेवार अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहें है। आखिर इतने बड़े गड़बड़ झाल के पीछे किसका हाथ है, यह तो विभागीय जांच होने के बाद ही पता चल पाएगा।  

छोटे ठेके खोलने के मापदंड

ग्रामीण एरिया में छोटे ठेके खोलने के लिए ठेकेदार को उस गाँव की आबादी के हिसाब से फीस भरनी होती है। जिस गाँव की जनसंख्या एक हजार तक है। उसके लिए डेढ़ लाख रुपए भरने होते है। ऐसे ही जहां आबादी दस हजार तक है। वहां के लिए तीन लाख रुपए की फीस तय की गई है। जहां दस हजार से अधिक आबादी है। वहां ठेका खोलने के लिए साढ़े चार लाख रुपए निर्धारित किए गए हैं। इसी तरह जनसंख्या के आधार पर ही ठेकों की संख्या निर्धारित की हुई है। चार हजार तक की आबादी वाले गांव में केवल एक ठेका खोला जा सकता है। अगर आबादी चार हजार से अधिक और आठ हजार से कम है। तो उस गांव में दो ठेके खुल सकते हैं। यदि किसी गांव की आबादी आठ हजार से अधिक है। तो वहां तीन ठेके खोले जा सकते हैं।  

लाइसेंस जारी करने के ये हैं नियम

एक्साइज पॉलिसी के 2023-24 की धारा 1.3.3 के अनुसार सबसे पहले आवेदक को विभाग की वेबसाइट पर अपना आवेदन अप्लाई करना होता है। आवेदक को उसी समय इसकी विभाग द्वारा निर्धारित की गई पूरी फीस भी भरनी होती है। फिर वो आवेदन ऑनलाइन एक्साइज इंस्पेक्टर के पास जाता है। आवेदक को इसकी मूल फाइल एक्साइज कार्यालय में भी जमा करानी होती है। इसके बाद एक्साइज इंस्पेक्टर सभी दस्तावेज व लाइसेंस के लिए भरी गई  फीस चेक करके उसकी ऑनलाइन और मैन्युअल रिपोर्ट बनाकर ए.ई.टी.ओ के पास भेजेगा। फिर ए.ई.टी.ओ उस फाइल को चैक करके आगे डी.ई.टी.सी को भेजता है। जिसके बाद डी.ई.टी.सी द्वारा ऑनलाइन आवेदक को लाइसेंस जारी किया जाता है। विभाग को 15 के अंदर यह पूरी प्रक्रिया करनी होती है।   


जिसने भी फीस नहीं भरी उनको नोटिस जारी किए गए हैं: डी.ई.टी.सी.

आबकारी एवं कराधान विभाग के डी.ई.टी.सी. विपिन बेनीवाल ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में है। नियम अनुसार जिसने भी सब वेंड की फ़ीस नही भरी उनको नोटिस जारी किए गए हैं। फिलहाल फीस ना भरने के कारणों का पता किया लगाया जा रहा है। अगर ऑनलाइन सर्वर नहीं चलता है, तो ऑफलाइन भी लाइसेंस जारी कर दिया जाता है। ताकि राजस्व का नुकसान ना हो।

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Content Writer

Manisha rana