अलर्ट: फरवरी माह में गेहूं की फसल पर करनाल बंट रोग का हो सकता है हमला
punjabkesari.in Friday, Jan 31, 2020 - 11:50 AM (IST)
सोनीपत(स.ह.): फरवरी माह में गेहूं की फसल में करनाल बंट रोग फैल सकता है। करनाल बंट रोग के अनुकूल मौसम की परिस्थितियों को देखते हुए कृषि निदेशालय ने जिला कृषि उपनिदेशक को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं। जिसके बाद कृषि विभाग ने ब्लाक स्तर पर कमेटियां गठित करके किसानों को करनाल बंट नामक रोग के लक्षण और रोकथाम के प्रति जागरूक करने की रूपरेखा तैयार कर ली है।
दरअसल, करनाल बंट रोग को आंशिक बंट के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग प्रदेश के करनाल जिले में सबसे पहले देखा गया था। गेहूं की फसल में करनाल बंट रोग का संक्रमण पौधों में पुष्प आने की अवस्था में शुरू होता है, लेकिन इसकी पहचान बालियों में दाना बनने के समय ही हो पाती है। रोगी बाली में सभी दानों में संक्रमण नहीं होता, बल्कि कुछ दाने आंशिक या पूर्ण रूप से बंट में बदल जाते हैं और काले पड़ जाते हैं। अधिक संक्रमण की अवस्था में पूरा दाना खोखला हो जाता है। इससे गेहंू की गुणवत्ता पर काफी असर पड़ता है।
वर्ष 2013 के बाद इस बार करनाल बंट रोग के अनुकूल है मौसम
करनाल बंट रोग का सबसे अधिक प्रकोप वर्ष 2013-14 में दिखाई दिया था। कुछ इसी तरह का मौसम इस बार भी बना हुआ है। दरअसल, यह रोग फरवरी और मार्च में उस समय अधिक फैलता है, तब आद्र्रता अधिक होती है और धीमी-धीमी बरसात होती रहती है। इसके अतिरिक्त आसमान में काले बादल छाए रहने की वजह से भी यह रोग तेजी से फैलता है। इस वर्ष अब तक मौसम का मिजाज कुछ इसी तरह का रहा है। फरवरी माह में भी पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने से बूंदाबांदी की सम्भावना जताई जा रही है। तापमान में अब तक अपेक्षाकृत कम ही बना हुआ है।
स्पैशल टीमों को गठित करके किसानों को किया जाएगा जागरूक
करनाल बंट रोग की रोकथाम के लिए मुख्यालय से निर्देश मिलने के बाद कृषि विभाग ने जिले में स्पैशल टीमों का गठन करने का फैसला किया है। ब्लाक स्तर पर गठित होने वाली ये टीमें किसानों को करनाल बंट रोग के प्रति जागरूक करेंगी तथा उनकी रोकथाम के उपाए बताएंगी। जिले में लगभग 1 लाख 40 हजार हैक्टेयर भूमि में गेहूं की बिजाई की गई है।
देवेंद्र कुहाड़, सहायक तकनीकी कृषि अधिकारी, सोनीपत ने कहा कि कृषि निदेशालय द्वारा पत्र प्राप्त हुआ है, जिसके अंतर्गत इस साल करनाल बंट रोग का प्रकोप बढऩे की सम्भावनाओं के प्रति अलर्ट किया गया है। रोग को लेकर विशेष तौर पर निगरानी की जाए। इसके लिए टीमों का गठन करके किसानों को जागरूक किया जाएगा। हर रोज की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाएंगी।
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