करनाल की बेटी संजोली बनर्जी ने रचा इतिहास, अंर्तराष्ट्रीय डायना पुरस्कार से हुई सम्मानित
punjabkesari.in Monday, Jun 28, 2021 - 02:46 PM (IST)
करनाल (केसी आर्या): करनाल की 22 वर्षीय बेटी संजोली बनर्जी को 17 साल में किए गए सामाजिक कार्य व मानव जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास के लिए विश्व के सबसे प्रतिष्ठित डायना पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार प्रिंसेज आफ वेल्स डायना की स्मृति में दिया जाता है। संजोली का इस पुरस्कार के लिए चयन डायना अवार्ड जजिंग पैनल्स के 12 सदस्यों द्वारा किया गया है जो कि बहुत कठिन व चुनौतीपूर्ण था। लंदन में होने वाले इस अंतराष्ट्रीय सम्मान समारोह में प्रिंसेज डायना के दोनों पुत्र द ड्यूक ऑफ कैम्ब्रिज तथा द ड्यूक ऑफ शसेक्स भी शामिल होते हैं और यह अवार्ड बर्मिंघम पैलेस में दिया जाता है। लेकिन कोविड की मध्यनजर यह ग्रांड वर्चुअल सेरेमनी द्वारा नवाजा गया।
संजोली ने पांच वर्ष की आयु से ही 'बेटी बचाओ-पृथ्वी बचाओ' अभियान चलाया, जिसके तहत उन्होंने दोनों विषयों पर लघु फिल्में 'बेटी' तथा 'अर्थ लपटों में' बनाई। 4500 किलोमीटर के जागरूकता अभियान में हजारों लोगों को जागरूक किया व सैकड़ों पेड़ लगाए। इसके अतिरिक्त वह गांव दरड़ में निशुल्क मोबाइल स्कूल गरीब बच्चों के लिए चला रही हैं और उनके जीवन को दिशा देने का प्रयास कर रही है। अपनी छोटी बहन अनन्या के जन्म पर भारत की पहली लोहड़ी बेटी के नाम मनाकर उसने कन्या भ्रूण हत्या विरोधी अभियान को जन्म दिया।
2015 में संजोली ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को 14 प्वाईंटस का पत्र लिखा जिसमें उसने महिला थाना, नैशनल कमिशन फॉर गर्ल चाईल्ड आदि का सुझाव दिया। 2016 में बारहवीं कक्षा में हरियाणा में टॉपर बनी संजोली विश्व की 8वें रैंकिंग आस्ट्रेलियन नेशनल यूनीवर्सिटी कैनबेरा में पढ़ी। वहाँ उन्हें स्कालरशिप मिली और स्नातक इंटरनेशनल सिक्योरिटी स्टडीज फर्स्ट क्लास से पास की। उसी दौरान वह लायन्स क्लब द्वारा बेस्ट स्पीकर अवार्ड से नवाजी गई व सचिव भी चुनी गई, जिससे उन्हें अनेकों जिम्मेदारिया दी गई।
केवल 20 वर्ष में उन्हें आस्ट्रेलियन फेडरल संसद में एक दिन का पार्लियामेंट सदस्य बनने का अवसर मिला। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिशन को चार्टर भी पेश किया जिसमें महिला सशक्तिकरण की बात कही व जलवायु परिवर्तन की वजह से तापमान के बढ़ते खतरे पर चिंता जताई। भित्र क्षेत्रों में सामाजिक कार्य किए जिससे उन्हें यूनीवर्सिटी की ओर से एएनयू प्लस अवार्ड से सम्मानित किया गया। एएनयू की ओर से वह शैफील्ड यूनीवर्सिटी इंग्लैंड भेजी गई, जहाँ उन्होंने चेंज लेव कार्यक्रम के जरिए भिन्न क्षेत्रों में काम किया, जिससे कि मानव जीवन बेहतर हो सके। 2019 में संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय में भी वह चयनित हुई।
द डायना अवार्ड के सी ईओ टेसी ओजो ने संजोली को बधाई देते हुए कहा कि वह विश्वास रखते हैं कि समाज सेवा के लिए इस अवार्ड से वह और युवाओं को भी प्रेरित करेंगी, जिससे कि वे समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकेंगे। संजोली की छोटी बहन अनन्या भी एक सामाजिक कार्यकर्ता है जो कोरोना काल की पहली और दूसरी वेव्स के दौरान लोगों की मैन्टल हैल्थ व वेल बींग पर अभियान चला रही है। वह संजोली के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपना योगदान सामाजिक कार्यों में दे रही है और उनके माता-पिता गगन व मिहिर बनर्जी शिक्षक हैं जो बच्चों को संघ लोक सेवा आयोग तथा राज्य लोकसेवा आयोग, राज्य न्यायिक सेवा तथा अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की परीक्षा आइलेट्स आदि की पढ़ाई करवाकर उनके जीवन को एक नया रंग देते हैं। वह आज की नई पीढ़ी के लिए प्ररेणा का स्त्रोत हैं। भविष्य में संजोली भारत का नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र में करना चाहती हैं।
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