''अदालतों का कामकाज हिंदी भाषा में करवाने के लिए खट्टर सरकार को दुरुस्त करना होगा अपना विभाग''

5/18/2020 12:25:11 PM

चंडीगढ़ (धरणी): बीते सोमवार 11 मई को हरियाणा सरकार के राजपत्र (गजट) में हरियाणा राजभाषा (संशोधन) अधिनियम 2020 का प्रकाशन कर उसे अधिसूचित कर दिया गया है। इसे गत मार्च में हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में सदन द्वारा पारित किया गया एवं 31 मार्च को इसे राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य की स्वीकृति प्राप्त हो गई। इस संशोधन कानून के द्वारा हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 में एक नई धारा 3ए  जोड़कर हरियाणा प्रदेश के सभी दीवानी (सिविल) और दंड ( क्रिमिनल ) न्यायालयों, जो पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के अधीन हैं , सभी राजस्व (रेवेन्यू ) न्यायालयों, रेंट (किराया ) ट्रिब्यूनल एवं राज्य सरकार द्वारा गठित अन्य अदालतों और ट्रिब्यूनलों में हिंदी भाषा में आधिकारिक काम-काज लागू करने सम्बन्धी प्रावधान किया गया है।

बहरहाल पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट का कहना है कि अगर मौजूदा खट्टर सरकार प्रदेश की कोर्टों-न्यायालयों में हिंदी भाषा का प्रयोग लागू करने के बारे में वाकई गंभीर है तो सर्वप्रथम प्रदेश के वर्तमान भाषा विभाग का कायाकल्प कर उसका एक प्रकार से नवीनीकरण कर उसे सुढृढ़ कर इसमें विभिन्न श्रेणियों के अनुवादक, अनुदेशक, हिंदी भाषा अधिकारी और प्रशिक्षण अधिकारी आदि की नियुक्ति करनी चाहिए जिससे वह न केवल प्रदेश के अधीनस्थ न्यायालयों और ट्रिब्यूनलों के स्टाफ को बल्कि राज्य सरकार के अन्य विभागों के कर्मचारियों को भी समय-समय पर हिंदी भाषा में सरकारी कामकाज करने के सम्बन्ध में उचित प्रशिक्षण दे सकें। वर्तमान में हरियाणा सरकार के चंडीगढ़ और पंचकूला स्थित सभी विभागों के मुख्यालयों में एवं जिसमें प्रदेश सिविल सचिवालय भी शामिल है, में दैनिक सरकारी काम-काज में हिंदी भाषा का सम्पूर्ण रूप से प्रयोग नहीं किया जा रहा है।

हेमंत कुमार ने इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि हालांकि उक्त संशोधन कानून 11 मई से नोटिफाई कर दिया गया है परन्तु इसकी धारा 1 (2) के अनुसार यह इसके अधिसूचित होने की तिथि से नहीं बल्कि उस तिथि से लागू होगा जो कि  हरियाणा सरकार द्वारा निर्धारित कर एक अलग नोटिफिकेशन जारी कर अधिसूचित की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि संशोधन कानून में यह भी उल्लेख है कि संशोधन कानून लागू होने के अर्थात उस निर्धारित कर अधिसूचित की गई तिथि के छ: माह के भीतर राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के सभी उक्त न्यायालयों के स्टाफ को आवश्यक अवसंरचना (संसाधन) और प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। 

हेमंत का मानना है कि इस प्रकार यह कानून 11 मई से नहीं बल्कि राज्य सरकार द्वारा नियत एवं अधिसूचित की गई तिथि से लागू होगा एवं उसके बाद भी सरकार द्वारा न्यायालयों के अधिकारियों और कर्मचारियों को इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रेनिंग आदि उपलब्ध करवाने के बाद ही यह वास्तविक और जमीनी तौर पर क्रियान्वित हो सकेगा।

हेमंत ने आगे बताया कि चूंकि हरियाणा सरकार के मौजूदा कार्य-आवंटन नियमावली,  1974, जैसा कि समय-समय पर इसमें किए गए संशोधन के अनुसार हरियाणा राजभाषा अधिनियम 1969 के प्रशासन का कार्य प्रदेश के सूचना, लोक संपर्क और भाषा विभाग के पास है, इसलिए राज्य के न्यायालयों और ट्रिब्यूनलों आदि के दैनिक आधिकारिक कार्य-कलापों में हिंदी भाषा को लागू करने से पहले इस सम्बन्ध में अधिकारियों और अन्य स्टाफ को ट्रेनिंग देने का काम भी उक्त विभाग द्वारा ही किया जाएगा। 

हालांकि कुछ वर्ष पहले भाषा विभाग प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के साथ ही जुड़ा होता था परन्तु तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा इसे लोक संपर्क विभाग के साथ सम्बद्ध कर दिया। उसी शासनकाल में ही लोक संपर्क विभाग के नाम में सूचना शब्द भी जोड़ दिया गया। वर्तमान में यह पोर्टफोलियो (विभाग ) के रूप में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पास ही है जबकि इसके प्रशासनिक सचिव मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के आईएएस अधिकारी राजेश खुल्लर हैं।

अब यह देखने लायक है कि क्या वर्तमान में इस विभाग के पास विशेष तौर पर इसकी भाषा अनुभाग के पास स्वयं इतना पर्याप्त ट्रेनिंग स्टाफ है जो प्रदेश के सभी न्यायालयों और ट्रिब्यूनलों आदि के अधिकारियों और कर्मचारियों को हिन्दी भाषा में कार्य करने के सम्बन्ध में आवश्यक संसाधन और पूर्ण प्रशिक्षण प्रदान कर सके? परंतु दुर्भाग्यवश आज भाषा विभाग में ऐसा स्टाफ न के बराबर ही है।

Shivam