खट्टर का मिशन-2019:दिल्ली तो जीत ली अब बारी चंडीगढ़ की

5/31/2019 9:26:43 AM

अम्बाला(रीटा/सुमन): लोकसभा चुनाव में सभी 10 सीटों पर कब्जा करने के बाद अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मिशन-2019 का अगला निशाना हरियाणा विधानसभा है। हरियाणा में अभी तक कांग्रेस के अलावा किसी भी दल ने अकेले विधानसभा में 67 से ज्यादा सीटें हासिल नहीं कीं। वैसे 1987 में देवी लाल की अगुवाई में बने गठबंधन ने 85 व 1977 में जनता पार्टी गठबंधन ने 75 सीटें जीतने का रिकार्ड बनाया।

भाजपा का दावा इस बार अपने दम पर इससे भी बड़ी लकीर खींचने का है लेकिन यह कितना सही साबित होगा, अभी कहना मुश्किल है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल 4 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में भी लोकसभा जैसे नतीजे दोहराने की कोशिश में जुटे हैं और इसके लिए उन्होंने मुहिम भी छेड़ दी है। 

कांग्रेसियों का मानना-मौसम हमेशा एक जैसा नहीं रहता, बदलेगा हवा का रुख  
दूसरी ओर हार से मायूस कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि मौसम हमेशा एक जैसा नहीं रहता। अब बदलाव की बयार चलेगी। 2014 के विधानसभा चुनावों को छोड़कर भाजपा ने जब भी अकेले चुनाव लड़ा,इसकी सीटें 2 अंकों में नहीं आ पाईं। 1991 व 2005 में भाजपा के कुल 2-2 विधायक ही विधानसभा में पहुंचे। इनैलो, हविपा व हजकां से तालमेल करके वह अपनी सीटों में इजाफा जरूर करती रही। 2014 में यह पहला मौका था जब भाजपा ने अपने बलबूते पर 47 सीटें जीती और बाद में करीब आधा दर्जन निर्दलीयों व इनैलो के विधायकों को भी अपने पाले में कर लिया।

इस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 79 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की है जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में यह बढ़त 59 हलकों में थी। 1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी ने,1984 में कांग्रेस ने व 1999 में भाजपा-इनैलो गठबंधन सभी 10 सीटों पर कब्जा किया था।
 
भाजपा तैयार, कांग्रेस उलझी इस्तीफों में

खट्टर ने अपने मिशन-2019 में अभी से सभी विधायकों, मंत्रियों व संगठन के नेताओं को झोंक दिया है लेकिन कांग्रेस अभी अपने आला नेताओं के इस्तीफों के चक्कर में उलझी पड़ी है। ओम प्रकाश चौटाला के पैरोल पर आने के बाद अब इनैलो आत्ममंथन में लगी है। जजपा,बसपा,आप व लोसुपा नए सिरे से कार्यकत्र्ताओं को सक्रिय करने में लगी है। एक लड़ाई हारने के बाद भी विपक्ष के एकजुट होने की उम्मीद नजर नहीं आती। 

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