सदन में बोलने का मौका नहीं मिलता तो विधायक अपने क्षेत्र के मुद्दे उठाते हैं जीरो आवर्स में :  किरण चौधरी

3/3/2022 5:00:14 PM

चंडीगढ़(धरणी):राज्यपाल के अभिभाषण के बाद जीरो आवरस की परंपरा को फिर से शुरू करने को कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेत्री किरण चौधरी ने इसे अच्छा काम बताते हुए कहा कि इसमें लॉटरी सिस्टम जो शुरू किया गया है, उसमें किसका नाम निकलेगा और किसका नहीं यह एक अलग बात है। 5 मिनट का मिलने वाला विधायकों को समय के दौरान कुछ विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र के कुछ मुद्दों को उठाकर समय व्यतीत कर देते हैं। जबकि यह समय ऐसे मुद्दों को उठाने के लिए रहता है जो कि प्रदेश के हर वर्ग - हर व्यक्ति को प्रभावित करता हो। लेकिन सदन के दौरान सभी विधायकों को बोलने का मौका नहीं मिल पाता।कालअटेंशन मोशन नहीं लग पाते जिस कारण से 0 आवर्स में वह अपने हलके की बात के मुद्दों को उठाते हैं।

सदन में उठेंगे बहुत से मुद्दे- कर्मचारियों की पेंशन बहाली और किसानों के मुद्दे रहेंगे अहम : किरण चौधरी

चौधरी ने कहा कि इस बजट सेशन में कांग्रेस पार्टी यूक्रेन में फंसे हरियाणवी बच्चों का मुद्दा, ओलावृष्टि से फसल समाप्त होने तथा मुआवजा ना मिलने का मुद्दा, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की बहाली की मांग क्योंकि राजस्थान में भी यह पॉलिसी बहाल की गई, यह जायज मांग है। खाद-बीज उपलब्ध ना होना, भावांतर योजना फेल होना, गेस्ट टीचर और आंगनवाड़ी वर्कर्स के मुद्दे सरकार का 75 फ़ीसदी प्राइवेट सेक्टर में हरियाणवी युवाओं को रोजगार देने का मुद्दा, तेल डीजल का तेल इत्यादि में लगातार हो रही महंगाई, इत्यादि मुद्दों को गंभीरता से उठाएगी। चौधरी ने कहा कि कांग्रेस समय में कच्चा तेल महंगा आ रहा था और पेट्रोल डीजल सस्ता दिया जा रहा था। जबकि आज कच्चे तेल के दाम कम हैं और डीजल पेट्रोल के दाम अधिक टैक्स लगाने के कारण अधिक हैं। एनजीटी की गाइडलाइंस के अनुसार किसान के ट्रैक्टर पर रोक लगा दी गई है। नशे की बढ़ती पकड़ और व्यापारियों के बंद हो रहे कारोबार कांग्रेस के मुद्दे अहम रहेंगे और सत्ता पक्ष को कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से इन मुद्दों पर घेरेगी।

बच्चों के पास खाने-पीने के पैसे नहीं सरकार कह रही है पड़ोसी देश हंगरी - पोलैंड चले जाओ : किरण चौधरी

किरण चौधरी ने हाल ही में यूक्रेन में फंसे हरियाणवी लोगों के मुद्दे को भी गहनता से सदन में उठाने की बात करते हुए कहा कि आज वहां फंसे बच्चों के पास खाने- पीने और ठहरने तक के साधन उपलब्ध नहीं हैं और सरकार के पास उन्हें वापस लाने की कोई योजना नहीं है। किस प्रकार से आसानी से हमारी सरकार कह रही है कि साथ लगते दूसरे अन्य देश हंगरी-पोलैंड इत्यादि में पहुंच जाओ जबकि वहां की फ्लाइट्स बेहद महंगी हो चुकी है। ऐसे में जब बच्चों के पास पैसे नहीं है तो आखिर वह दूसरे देशों में कैसे जा पाएंगे। सरकार की बातों से लगता है कि उनके पास इन बच्चों के सही आंकड़े भी उपलब्ध नहीं है कि कौन-कौन से बच्चे कौन-कौन सी यूनिवर्सिटी में हैं। भिवानी महेंद्रगढ़ दादरी के बहुत से बच्चे जो यूक्रेन में फंसे हुए हैं। उनके अभिभावक यहां बेहद निराश और डरे हुए हैं। यूक्रेन के लोग अब भारतीय बच्चों के प्रति आक्रामक होने की भी खबरें सामने आ रही हैं। चौधरी ने कहा कि हमारी सरकार अगर सस्ती एजुकेशन यही उपलब्ध करवाती तो इन बच्चों को हरियाणा को छोड़कर विदेशों में क्यों जाना पड़ता। पिछले 7 साल से हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की बातें सुन रहे हैं। जबकि श्रुति चौधरी ने अपने कार्यकाल में भिवानी के लिए मेडिकल कॉलेज ना केवल स्वीकृत करवाया बल्कि 250 करोड रुपए की राशि भी डलवाई। लेकिन आज तक वह स्वीकृत कॉलेज नहीं बन पाया। ऐसे में सरकार से उम्मीद करना बेमानी है। जो बच्चे अब ऐसे हालातों में अपनी शिक्षा को बीच में छोड़कर भारत में लौट रहे हैं तो मैं इस सवाल को सदन में उठाऊंगी कि उनकी शिक्षा को किस प्रकार से किस पॉलिसी से सरकार एडजेस्ट करेगी।

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Content Writer

Vivek Rai