LS Election 2019- सियासत के ‘चक्रव्यूह’ में अरोड़ा के बाद अब कुलदीप

3/14/2019 12:56:51 PM

हिसार (संजय अरोड़ा): लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। ऐसे में हरियाणा की सियासत का कुछ अलग रंग नजर न आए ऐसा हो नहीं सकता। आया राम-गया राम के लिए प्रख्यात इस प्रदेश का हर चुनाव में अलग ही मिजाज रहा है। दल-बदल का खेल भी होता है और प्रदेश के सियासी गलियारों में अफवाहों व चर्चाओं का दौर प्रदेश की सियासत को गर्माए रखता है।

हरियाणा में इस बार दस सीटों के लिए छठे चरण में 12 मई को चुनाव होना है मगर विभिन्न दलों के नेताओं की मुलाकातें व पर्दे के पीछे की सियासत लगातार तेज होती जा रही है। इन दिनों हरियाणा की राजनीति में कुछ ऐसी ही स्थिति बनती-बिगड़ती दिख रही है कि एक दल के फेवर में माहौल बनाने के लिए अब दूसरे दलों के लोगों के साथ मेल-मिलाप को ही सियासत की हांडी पर चढ़ाकर उसे मुद्दे के रूप में पकाया जा रहा है। कुछ दिन पूर्व इनैलो के प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा चर्चाओं में आए तो अब 2 दिनों से पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल के बेटे एवं कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्नोई सुॢखयों में हैं।

कुलदीप बिश्नोई के संदर्भ में यही प्रचारित किया जा रहा है कि वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने की जुगत भिड़ा रहे हैं। उनकी इस संबंध में भाजपा के प्रदेश प्रभारी अनिल जैन सहित पार्टी के कई नेताओं से मुलाकात हो चुकी है। जब इन चर्चाओं से संबंधित समाचार मीडिया की सुॢखयां बने तो कुलदीप बिश्नोई को ट्वीट करके यह कहना पड़ा कि उनकी छवि को ठेस पहुंचाने के लिए इस तरह का मनघढं़त व झूठा प्रचार किया जा रहा है। उनकी किसी भाजपा नेता से कोई मुलाकात नहीं हुई है। कुलदीप ने अपने इस ट्वीट के जरिए बेशक मामले को ठंडा करने का प्रयास किया है मगर सियासी गलियारों में यह चर्चा अवश्य है कि धुआं तभी उठता है जब ङ्क्षचगारी सुलग रही हो। 

वहीं कुछ दिन पूर्व जब इनैलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से नई दिल्ली के हरियाणा भवन में मुलाकात की तो यह प्रचार हो गया कि कहीं अशोक अरोड़ा भाजपा का तो दामन थामने नहीं जा रहे। खुद अरोड़ा ने इन चर्चाओं पर यह कहकर विराम लगा दिया कि यह शिष्टाचार मुलाकात थी। वे हमेशा इनैलो के झंडे तले रहकर ही राजनीति करेंगे। जब यह चर्चा थम गई तो दूसरी चर्चा यह चल पड़ी कि अरोड़ा मुख्यमंत्री मनोहर लाल से इनैलो और भाजपा के गठबंधन का प्रस्ताव लेकर मिले थे। दोनों नेताओं की प्रदेश की 10 संसदीय सीटों को लेकर गठबंधन के तहत चुनाव लडऩे को लेकर चर्चा हुई। गौरतलब है कि पिछले माह पैरोल पर आए इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला भाजपा व इनैलो के गठबंधन के संकेत दे चुके है। कार्यकत्र्ताओं की बैठकों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि भविष्य में इनैलो का भाजपा से गठबंधन हो सकता है।

कहीं ये तो कारण नहीं?
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह कहना है कि भले ही कुलदीप बिश्नोई ने खुद ट्वीट करके कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने की अटकलों पर विराम लगाया हो मगर कांग्रेस में भी उनके लिए सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पर्यवेक्षकों का मानना है कि जब कुलदीप बिश्नोई ने अपनी पार्टी हजकां का कांग्रेस में विलय किया था तब राहुल गांधी द्वारा उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने का आश्वासन दिया गया था। 

मगर लंबा समय बीत जाने के बाद अध्यक्ष न बन पाने की वजह से कुलदीप निराशा तो महसूस कर ही रहे थे वहीं पार्टी ने उन्हें हिसार संसदीय सीट से चुनाव लडऩे का निर्देश दिया। जबकि कुलदीप हिसार से अपने बेटे भव्य बिश्नोई को चुनाव लड़वाना चाहते हैं। यही सब कारण हैं कि कुलदीप बिश्नोई पिछले कुछ समय से कांग्रेस नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। संभवत: इसी नाराजगी को लेकर कुलदीप बिश्नोई के कांग्रेस छोडऩे की चर्चा चल पड़ी। वहीं, पर्यवेक्षक यह भी कहते हैं कि इस प्रकार की चर्चाएं कांग्रेस पर कुलदीप बिश्नोई द्वारा दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा भी हो सकती हैं।

Shivam