लंकापति दशानन पर भी पड़ी महंगाई की मार, पुतलों को बनाने वाली सामग्री हुई महंगी

10/15/2021 8:37:36 AM

पलवल : नेता जी सुभाष चन्द्र बोस स्टेडियम में फिर से बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माने जाने वाले दशहरा पर्व पर आज रावण, कुंभकरण और मेघनाद का पुतला दहन किया जाएगा। मगर इस बार सोने की लंका के राजा रावण के पुतलों को भी महंगाई से जूझना पड़ा है। अबकि बार बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकरण और मेघनाथ (पुतलों) के भाव बढ़े हुए हैं। इन पुतलों को बनाने वाली सामग्री महंगी हो गई है, जिसकी वजह से इनके दामों पर असर देखा जा रहा है।

दहन के लिए पुतलों का निर्माण कर रहे ठेकेदार जमील खान के अनुसार जहां हर बार पुतलों के निर्माण में दो लाख का खर्च आता था। वहीं इस बार यह खर्च बढ़कर ढाई से तीन लाख रुपए हो गया है। इस बार पुतले आकार में भी छोटे बनाए जा रहे हैं। आज रावण का पुतला 80 फुट की जगह 50 फुट का ही जलाया जाएगा। अर्थव्यवस्था में सुस्ती की मार से ‘रावण’ भी बच नहीं पाया है। आर्थिक मंदी का असर हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। यही नही त्यौहार, पर्व भी इससे अछूते नहीं हैं।

दशहरा पर्व पर भी आर्थिक मंदी का असर देखने को मिल रहा है।आलम यह है कि महंगाई की मार ने रावण, मेघनाथ के कद भी छोटे कर दिए हैं। पिछले तीन वर्ष की तुलना में रावण की लंबाई कम हुई है। वहीं आर्थिक मंदी से जूझ रहे कलाकारों पर कोरोना ने भी दोहरी मार की है। बांस की कमी के कारण रावण बनाने में दिक्कतें आ रही हैं। पुतलों के बाजार में रावण, कुभकरण व मेघनाद का कद और छोटा हो गया है। इन कारीगरों का कहना है कि अर्थव्यवस्था सुस्त है, साथ ही पुतला बनाने वाली सामग्रियों के दाम काफी चढ़ चुके हैं। ऐसे में हमें पुतलों का आकार काफी छोटा करना पड़ा है।

तकनीक के इस दौर में रावण व कुंभकरण के पुतलों में कई नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। इकोफ्रेंडली रावण तैयार करने के साथ लोगों को आकर्षित करने के लिए कई बदलाव भी किए जा रहे हैं। रावण बनाने के लिए मुलतानी मिट्टी और केमिकल भी काम में लिया जा रहा है, जिससे रावण काफी देर तक जलेगा और पटाखों की धुंआ भी कम निकलेगी। इसके अलावा रावण के पुतले हाथ-पैर और गर्दन हिलाते हुए नजर आएंगे।  इस बार मुकुट को आकर्षक रूप दिया जा रहा है। पहले रावण के पुतलों की मूंछ बड़ी रखी जाती थी। अगर  कुंभकर्ण या मेघनाद के पुतले रावण के पुतले के साथ बनाए जाते थे तो वह छोटी मूंछ के बनाए जाते थे, लेकिन अब महंगाई ने कुंभकर्ण या मेघनाद के पुतलों की मूंछों की तरह ही रावण के पुतले की मूंछों को भी छोटा कर दिया है।

पुतलों के निर्माण में लगे 20 कारीगर 
इन पुतलों के निर्माण  में उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर के झांझर गांव से आए कारीगर लगे हुए हैं। ठेकेदार जमील खान के अनुसार करीब 20 कारीगर इन पुतलों के निर्माण में लगे हुए हैं। बीते एक सप्ताह में यह तीनों पुतले तैयार किए गए हैं। उनके साथ मोहम्मद शाबिर, शाहरुख खान, जोगेन्द्र, हबीब खान, शरफराज समेत 20 कारीगर लगे हुए हैं। वह साल 2018 से पलवल में दशहरा पर्व पर दहन होने वाले पुतलों को बनाने का कार्य कर रहे हैं। इससे पहले वह दिल्ली, शिमला, सोलन, चंडीगढ़ में भी पुतले बना चुके हैं। पिछले वर्ष कोरोना के चलते पुतलों का दहन नहीं हुआ था। इस बार उन्हें कुछ समय पहले ही पलवल में पुतले बनाने का कार्य मिला था।

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Content Writer

Manisha rana